कम लोग ही जानते हैं कि मडुवा मूल रूप से इथोपिया और युगांडा देश का एक मोटा अनाज है जिसे आज विश्व में भारत समेत केन्या, जायरे, जाम्बिया, जिम्बाब्वे, तंजानिया, सूडान, नाइजीरिया, मोजम्बीक, नेपाल आदि देशों में उगाया जाता है.
मडुवा, मंडुआ, क्वादु, कोदा का अंग्रेजी नाम है फिंगर मिलेट और वानस्पतिक नाम है एलोओसाइन कोरोकैना (Eleusine Corocana).
पहाड़ में आपने मडुए के ऊपर घी रखकर खाया होगा, मडुए की रोटी के साथ हरा नमक लगा कर खाया होगा पिछले कुछ सालों में मडुए के बिस्किट और नमकीन भी खाई होगी. मडुए के बिस्किट और मडुए की नमकीन को लोकप्रिय हुये तो एक अरसा हो गया लेकिन क्या आप जानते हैं मडुए के नुडल्स भी बनते हैं.
अब भले ही हमें बचपन से लगता हो कि मडुवा खाने से काले हो जाते हैं लेकिन असल बात यह है कि मडुए में ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो बच्चों के मानसिक विकास के लिये बहुत जरूरी होते हैं. इसी लिये अब बाजार में मडुवे के बने बिस्किट, चॉकलेट, नमकीन, नूडल्स, पास्ता आदि आधुनिक लोकप्रिय व्यंजन भी बनाये जा रहे हैं.
कुछ वर्षो से उत्तराखंड में मडुए से बनी मिठाइयां बड़ी लोकप्रिय हुई हैं. कोटद्वार में देवी मंदिर के पास स्थित नेगी बेकरी में तो मडुए से बनी बहुत सी मिठाईयां मिलती हैं. इन मिठाइयों में मडुए की बर्फी, मडुवा बतिशा, मडुवा पेड़ा, मडुवा लड्डू शामिल हैं जिनकी कीमत वर्तमान में 300 से 500 रूपये प्रति किलो तक है. तस्वीरों में देखिये कैसी दिखती हैं मडुए से बनी मिठाई :
वर्तमान में उत्तराखंड के बहुत से क्षेत्रों में मडुवे की मिठाई बनाई जाने लगी हैं. इसकी मांग बाजार में तेजी से बढती जा रही है. मडुआ खरीफ की फसल में धान के बाद सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है. इसका मुख्य कारण यह है कि इसकी फसल को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती.
काफल ट्री डेस्क
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