महाराष्ट्र पुलिस की एक टीम बुधवार को हल्द्वानी पहुंची. यहां महाराष्ट्र पुलिस के मंगलराव चव्हाण ने कोतवाली में एक मुकदमा दर्ज कराया. मुकदमा अमरावती जेल से फरार हल्द्वानी निवासी सजायाफ्ता कैदी दीपक सिसौदिया की धरपकड़ के सिलसिले में था. (Deepak Sisodia escapes from jail)
दरअसल दीपक सिसौदिया हत्या के एक मामले में अमरावती जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा था. इसी साल जनवरी में उसे 45 दिन के पैरोल पर छोड़ा गया था. पैरोल की अवधि पूरी होने के बाद दीपक ने अमरावती जेल में अपनी आमद दर्ज करानी थी. तय समय पर उसके वापस जेल न पहुँचने पर पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो दीपक हाथ नहीं आया. सिसौदिया के हल्द्वानी में अपने घर या उसके आसपास होने के शक पर पुलिस उसकी तलाश में पहुंची है. दरअसल दीपक सिसौदिया के तार अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के गिरोह से जुड़े हैं, इसलिए उसकी फरारी से पुलिस सकते में है.
11 जून 2011 की दोपहर मुम्बई के क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे मोटरसाइकिल पर अपने घर की तरफ जा रहे थे. तभी चार बाइक सवारों ने उन्हें घेरकर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. मुम्बई से सटे पोवई के इस शूटआउट में डे पर बेहद करीब से पांच गोलियां दागी गयीं. गंभीर रूप से घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित किया गया.
मुंबई के रहने वाले ज्योतिर्मय मिड डे अखबार में सीनियर क्राइम रिपोर्टर थे. ज्योतिर्मय डे की गिनती मुंबई के बेहतरीन क्राइम रिपोर्टरों में की जाती थी. बतौर इंवेस्टिगेशन ऑफ़िसर मिड-डे ज्वाइन करने से पहले वे इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स से भी जुड़े रहे थे. हत्या से पहले उन्होंने शहर के तेल माफ़ियाओं पर कई स्टोरी की थीं, अनुमान था कि यही उनकी हत्या का सबब बना. इस हत्या के बाद देश भर में पत्रकारों और नागरिकों के विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.
मुम्बई पुलिस ने मामले की जांच मकोका के तहत शुरू की. जल्द ही मामले में संलिप्त दो शूटर गिरफ्तार कर लिए गए. जांच में एक पत्रकार जिग्ना बोरा समेत 11 लोगों का नाम सामने आया. मामले में छोटा राजन का नाम सामने आने पर सीबीआई भी इस जांच में शामिल हो गयी. क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली कि इस मामले में छोटा राजन गैंग का हाथ था. छोटा राजन ने ही सतीश कालिया को डे को मारने की सुपारी दी थी.
जांच में सामने आया कि ज्योतिर्मय डे हत्याकाण्ड में हथियार की आपूर्ति अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के सहयोगी हल्द्वानी निवासी दलबीर सिसौदिया उर्फ़ दीपक सिसौदिया ने की थी. मुंबई पुलिस, उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स तथा स्थानीय पुलिस ने हल्द्वानी से दीपक को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने सूचना के आधार पर काठगोदाम क्षेत्र में जाल बिछाकर दीपक सिसोदिया को गिरफ्तार किया. सिसोदिया ने शुरुआती जांच में ही स्वीकार किया कि वह अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के संपर्क में है और उसी ने हथियार मुहैया करवाया था. सिसोदिया की गिरफ्तारी को डे की हत्या की गुत्थी सुलझाने में अहम माना गया था.
मकोका कोर्ट ने 11 में से 9 अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई. पत्रकार जिगना बोरा और पॉलसन जोसेफ़ को बरी कर दिया गया.
इसी मामले में उम्र कैद की सजा काट रहा दीपक सिसौदिया जनवरी में पैरोल मिलने के बाद हल्द्वानी में अपने घर आया हुआ था. दीपक का घर रामपुर रोड के जीतपुर नेगी में है. पैरोल पूरी होने के बाद से ही वह फरार है. इस समय हल्द्वानी पुलिस महाराष्ट्र पुलिस के साथ अमरावती जेल के कैदी नंबर-5304 दीपक सिसौदिया को सरगर्मी से तलाश रही है.
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