विनोद कापड़ी का इंटरव्यू
पिछले दिनों हमने विनोद कापड़ी के विषय में लिखा था. 2016 के अंत में हल्द्वानी फिल्म फेस्टिवल के दौरान विनोद कापड़ी की फिल्म ‘मिस. टनकपुर हाजिर हो ‘और ‘कांट टेक दिस शिट एनीमो... Read more
चालाक गीदड़ और शिबजी की कथा
जिन दिनों खेतों में हल लगाने का काम होता घर के सब बड़े लोग बच्चों की तरफ ध्यान ही नहीं देते. दादाजी, दादी, माँ, चाचियाँ, ननि दादी, ठुली दादी सब कहते आज-कल सब बच्चे चुप सो जाओ. सब थके हैं. जब... Read more
लड़कियों के बाप
विष्णु खरे समकालीन सृजन परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण नाम रहे. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 9 फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु खरे ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री ली. इन्दौर से प्रक... Read more
अथ टार्च, लालटेन, लम्फू और ग्यस कथा
तब टार्च, लालटेन व लैम्फू के बिना अधूरा था जीवन -जगमोहन रौतेला आजकल तो भाबर में अब शहर तो छोड़िए गांव-गांव बिजली की चमक पहुँच गयी है. चार दशक पहले ऐसा नहीं था. भाबर के अधिकतर गांव रात को अधे... Read more
काल से होड़ लेता था कवि विष्णु खरे
पहल के ताज़ा अंक में अपनी डायरी की शुरुआत में विष्णु खरे की कविता, ‘एक कम’ की आख़िरी चार लाइनों से शुरुआत की थी. यह एक बहुत अजीब सा और अब बहुत अटपटा और उदासी जैसा संयोग लगता है. पहल 113 के ऑ... Read more
अभावों से अर्जुन अवार्ड तक का सफ़र
उत्तराखंड के औद्योगिक शहर रुद्रपुर के निवासी पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार का नाम साल 2018 के अर्जुन अवार्ड प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों में सूची में शामिल है. मनोज सरकार ने आर्थिक रूप से अ... Read more
अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – तीसरी क़िस्त कठोपनिषद की तीसरी वल्ली (अध्याय) का पहला मंत्र है: ऊर्ध्व्मूलोSवक्शाख एशोSश्वत्थः सनातनः ! तदेव शुक्रं तद् ब्रह्म तदेवामृतमुच्यते ! तस्मिंल्लोकाःश्... Read more
गुप्त वंश तथा कुमाऊं भाग-3
तोरमाणः- सन् पांच सौ ई. के लगभग हूण सरदार तोरमाण ने मालवा तक अपना शासन स्थापित किया और महाराजाधिराज की पदवी धारण की. तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल की राजधानी शाकल सम्भवतः सहारनपुर देहरादून की सीम... Read more
सरयू आज भी सिसकती है – कुसुमा की त्रासद लोककथा
सुसाट मन को कपोरता है. लग जाता है एक उदेख जिसके अंदर कुहरा जाती है बाली कुसुमा की ओसिल कहानी. सरयू आज भी सिसकती है. इतना तो समय बीत गया. विदित नहीं अब देवराम और सरूली दीदी जीवित होंगे भी कि... Read more
मेरी नानी हिमालय पर मूंग दल रही है
रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ (3 दिसम्बर 1957 – 8 दिसंबर 2015) हिंदी के लोकप्रिय जनकवि हैं. वे स्नातकोत्तर छात्र के रूप में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से जुड़े. यह जुड़ाव आजीवन... Read more