शऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है – 14
मुगले आजम (सलीम-अनारकली एंड वाट इज़ देयर इन नेम) इसकी पटकथा भी वहीं लिखी गयी त्रिशूल के कमरा नंबर पांच की सबसे पीछे वाली पंक्ति में जहां हमारी प्रतिभा जबर्दस्त हिलोरें मारती थी. उस दिन आनंद अ... Read more
डिलीवरी फर्श पर, मौत सरकारी संवेदना की हुई
देहरादून में संवेदनहीनता का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे हम अक्सर दूर-दराज गांवों में अक्सर सुना करते हैं. यह मामला राजधानी में होने से सुर्खियों में आ गया है. सरकारी अस्पताल में गर्भवती... Read more
बेरीनाग टू बंबई वाया बरेली भाग- 1
[विनोद कापड़ी ने बहुत छोटी जगहों से जीवन की शुरुआत कर संसार में अपने लिए एक बड़ी जगह तैयार की है. एक मीडियाकर्मी के तौर पर खासा सफल जीवन जी चुके विनोद ने हाल के चार-पांच वर्षों में फिल्म निर्म... Read more
जै श्री राम वाले भाई साहब
भाई साहब मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के भक्त हैं. दुआ सलाम “जै राम” के उदघोष से करते और आह भरते तो “हे राम” कहते. दिनभर में न जाने कितनी बार राम का नाम लेते. किसी बात... Read more
भारत में शिशु मृत्यु दर : पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा पहली बार 10 लाख से कम
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2017 में 8 लाख 2 हज़ार बच्चों की मौत हुई लेकिन यह आंकड़ा पांच वर्ष में सबसे कम है. शिशु मृत्यु दर के मामले में भारत में उल्लेखनी... Read more
विष्णु खरे: बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया
विष्णु जी नहीं रहे. हिंदी साहित्य संसार ने एक ऐसा बौद्धिक खो दिया, जिसने ‘बिगाड़ के डर से ईमान’ की बात कहने से कभी भी परहेज़ नहीं किया. झूठ के घटाटोप से घिरी हमारी दुनिया में ऐसे लोग बहुत कम... Read more
‘अपनी धुन में कबूतरी’ वृत्तचित्र का प्रदर्शन
(जगमोहन रौतेला की रपट) कुमाउनी लोकजीवन के ऋतुरैंण, न्योली, छपेली, धुस्का व चैती आदि विभिन्न विधाओं की लोकप्रिय लोकगायिका रही कबूतरी देवी के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र ‘अपनी धुन में कबूतरी’ का... Read more
विनोद कापड़ी को जानिये
उत्तराखंड के बेरीनाग इलाके से ताल्लुक रखने वाले विनोद कापड़ी की नई फिल्म ‘पीहू’ इसी महीने रिलीज़ होने वाली है. भारत में रिलीज होने से पहले यह फिल्म वैंकूवर इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, पाम स्प्र... Read more
17 सितम्बर 2018 को शुरू हुआ 3 दिवसीय नन्दा देवी महोत्सव आज डोले के विसर्जन के साथ ही समाप्त हो गया. विसर्जन से पहले डोले को भव्य आयोजन के साथ पूरे शहर में घुमाया गया. कई सालों बाद इस बार पूर... Read more
लेट्स गो डच – अंग्रेज़ी भाषा का एक पहलू ये भी
कॉक्नी लन्दन के कामगारों की विचित्र लेकिन कल्ट बन चुकी भाषा है. इतिहास की दृष्टि से आमतौर पर मज़दूरों के साथ जोड़ कर देखा जाने वाला अंग्रेज़ी का यह संस्करण कहीं न कहीं पिछले सौ-पचासेक सालों... Read more