रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 3
(पिछली क़िस्त का लिंक – रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 2) सुनसान बुग्याल में मुझे दो युवा चरवाहे भेड़ चराते दिखे. मैंने हँसते हुए पूछा – बस एक ही भेड़. उनमें से एक न... Read more
तुझे वहां से भला कैसे लेकर आऊंगा
बहन ने कहा -चंद्रभूषण पानी खींचने की प्रतियोगिता चल रही थी कोई विजेता खड़ा था, जिसका नाम भूल गया फिर अगले साल एक और चैंपियन गोखड़ करके लेकिन साफ-साफ दिखा दोनों बार कि पानी उनके आगे डेढ़ेक बा... Read more
इसलिए जरूरी है गंगा बचाने को 112 दिन तक अनशन पर बैठे इस वैज्ञानिक स्वामी को जानना
गंगा के लिये तड़पता एक ऋषि वैज्ञानिक -डॉ. अनिल गौतम मानवीय प्रयासों द्वारा धरती में अवतरित एकमात्र नदी गंगा को वर्तमान पीढ़ी भविष्य के लिये नहीं छोड़ना चाहती. इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 19
बात स्वराज आश्रम से चल कर आजादी के दीवानों की हो रही थी. इसी क्रम में वर्तमान राजनीति पर चर्चा कर लेना भी गलत न होगा. हल्द्वानी शहर आजादी की लड़ाई के समय से ही कुमाऊॅ मंडल की रानजीति का अखाड़ा... Read more
पतंग – आलोक धन्वा 1. उनके रक्तों से ही फूटते हैं पतंग के धागे और हवा की विशाल धाराओं तक उठते चले जाते हैं जन्म से ही कपास वे अपने साथ लाते हैं धूप गरुड़ की तरह बहुत ऊपर उड़ रही हो या फ... Read more
प्रेमचंद की याद
हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक रूप देकर उसे आम जन के बीच लोकप्रिय बनाने का काम उनका बहुत ख़ास है. प्रेमचंद ने न सिर्फ विविध वि... Read more
विन्देश्वर का ऐड़ाद्यो महादेव मंदिर
विन्देश्वर का ऐड़ाद्यो महादेव मंदिर – धरणीधर पाण्डे यह मंदिर अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर कस्बे से लगभग 23 किमी. दूर बाँज व बुराँश के घने जंगलों के बीच स्थित है. इस मंदिर में गोलूछीना, पथरि... Read more
सिंसूण अर्थात बिच्छू घास की कथा
मध्य हिमालय के उत्तराखंड में बसा पौराणिक मानसखंड कुमाऊँ मंडल तथा केदारखंड गढ़वाल मंडल जो अब उत्तराखंड के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक वन सम्पदा के लिये देश-विदेश में सदियों से प्रसिद्... Read more
माफ़ करना हे पिता – 2
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 1) इसी कोठरी में मुझसे तीनेक साल छोटी बहन लगभग इतनी ही उम्र की होकर गुजर जाती है. उससे कुछ समय बाद, जब एक दोपहर पिता मुझे डॉक्टर के पास ले गये थे. बीमा... Read more
स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखण्ड की महिलाएं
उत्तराखण्ड की विशिष्ट भौगोलिक सांस्कृतिक परिस्थितियां होने के कारण यहां की महिलाएं देश के अन्य भागों की महिलाओं की तुलना में अधिकतः कृषि कार्यों में जुड़ी रही हैं. परम्परागत रूप से पहाड़ों की... Read more