भोले का शीतकालीन प्रवास मक्कूमठ
मक्कूमठ गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जनपद की पट्टी परकण्डी व तहसील ऊखीमठ हुते हुए या भीरी परकण्डी होते हुए पहुंचा जा सकता है. ऊखीमठ के रास्ते यह दूरी 32 किमी तथा भीरी के रास्ते 16 किमी है. यहाँ... Read more
साझा कलम – ३ : विवेक वत्स
[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से... Read more
यथार्थ के दलदल में डूब जाएगा उनका गृहविज्ञान
गृहविज्ञान -सुन्दर चंद ठाकुर वे कौन सी तब्दीलियां थीं परंपराओं में कैसी थीं वे जरूरतें सभ्यता के पास कोई पुख्ता जवाब नहीं गृहविज्ञान आखिर पाठ्यक्रम में क्यों शामिल हुआ. ऐसा कौन सा था घर का व... Read more
कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ- 3
नीलू कठायत- दूसरे दिन तड़के ही जस्सा राजप्रसाद पहुंचे. महाराज को बतलाया की नीलू कठायत महरों के साथ मिलकर एक घोर षड्यंत्र की योजना बना रहा है. उसके दोनों लड़के संयोग से कल रात मुझे मिल गए. मा... Read more
डॉ. राम सिंह की स्मृति: अपने कर्म एवं विचारों में एक अद्वितीय बौद्धिक श्रमिक
10 अक्टूबर 2016 को दिवंगत हुए पिथौरागढ़ में रहने वाले अद्वितीय मनीषी और कर्मठ विद्वान डॉ. राम सिंह ने उत्तराखंड के इतिहास पर अद्वुतीय कार्य किया था. इस महाप्रतिभा को याद कर रहे हैं हमारे साथी... Read more
काले गड्ढे के उस पार हॉकिंग रेडिएशन
प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिकविद् स्टीफन हॉकिंग का निधन उस दिन के शुरुआती लम्हों में हुआ जो महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्श्टाइन की जयंती के तौर पर जाना जाता है. अब 14 मार्च सैद्धांतिक भौतिकी की इन दो... Read more
बॉलीवुड के सुरों में लमगड़ा की कारीगरी
बॉलीवुड के रुपहले परदे पर उत्तराखण्ड के कई कलाकारों ने खुद को साबित कर अच्छा नाम कमाया है. सामान्य दर्शक के रूप में परदे के पीछे की दुनिया से हम बेखबर ही रहते हैं. इस करिश्माई सिनेमा को बनान... Read more
आसमान में धान बो रहा हूँ: विद्रोही की कविता
नई खेती -रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ मैं किसान हूँ आसमान में धान बो रहा हूँ कुछ लोग कह रहे हैं कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता मैं कहता हूँ पगले! अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है त... Read more
शोला था जल बुझा हूं
मेहदी हसन को हम किस तरह याद करेंगे ये सोचना मुश्किल नहीं है क्योंकि उन्हें सुनते रहिए तो भूलने की हिमाकत हो ही नहीं पाएगी. मुश्किल तो ये सोच पाना है कि उन्हें भुलाया कैसे जाएगा. कोई रंग, कोई... Read more
आकाशमुखी लेखन का एंड्रॉयड युग
कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद, स्कूल-इंस्पेक्टर थे. वे अक्सर देहातों में दौरों पर रहते थे. आवागमन के साधन तब बहुत सीमित होते थे. मजबूरन उन्हें वहीं रुकना पड़ता था. कामकाज के बाद, जन जीवन को गहरे... Read more