रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 5
(पिछली क़िस्त का लिंक – रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 4) सुबह उजाला हुआ तो मैं बाहर निकल आयी. मौसम साफ है. आसमान में कोई बादल नहीं हैं. आज पहली बार मैं नीला आसमान और धू... Read more
रंग उसे बीजगणित की जटिल वीथियों में ले जाते थे
मून फ्लोरिस्ट वो जब भी इस दुकान के आगे से गुज़रता, हल्का सा ठिठक जाता.. . और सोचने लगता कि चाँद पर उगने वाले फूल किस तरह के होते होंगे. उनका रंग क्या धरती पर उगने वाले फूलों जैसा ही होता होगा... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 2
पिछली कड़ी गुडी गुडी डेज़ -अमित श्रीवास्तव बतकुच्चन मामा फैल गए थे. ये बात उनको नागवार गुज़री थी. वैसे तो अपने ख़िलाफ़ चूं भी उनको नागवार गुज़रती थी ये तो चों थी. उन्होंने फनफनाते हुए लौंडों को दे... Read more
भारतवासी होने का सौभाग्य तो आम से भी बनता है
आम के बाग़ -आलोक धन्वा आम के फले हुए पेड़ों के बाग़ में कब जाऊँगा? मुझे पता है कि अवध, दीघा और मालदह में घने बाग़ हैं आम के लेकिन अब कितने और कहाँ कहाँ अक्सर तो उनके उजड़ने की ख़बरें आती रहत... Read more
मीटू इज स्वीटू
गुजरात के शहरों और कस्बों से हिंदी बोलने वाले बिहार, यूपी, एमपी के भइया लोग देसी गालियां और लात देकर भगाए जा रहे हैं. सबको गुजराती अस्मिता के डंडे से हांकने का बहाना एक कुंठित युवा द्वारा एक... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 1
छानपुर और जोहार घाटी के मध्य लगभग 18000 फिट ऊॅंचे गिरिपथ को पार कर तिब्बत व्यापार हेतु सुगम मार्ग खोज निकालने के उद्देश्य से दानपुर क्षेत्र के सूपी ग्राम निवासी मलूक सिंह का प्रयास सन् 1830... Read more
रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 2
पिछली कड़ी तो एक बार भवाली की टीम को ‘राम वनवास’ वाला प्रसंग मिला प्रस्तुति के लिये. राम-लक्ष्मण का वनवासी वेष धारण करने का दृश्य जिस प्रभावकारी और सादगी के साथ उन्होंने मंच पर प्रस्तुत किया... Read more
जोहार घाटी का सफ़र भाग – 5
पिछली क़िस्त का लिंक – जोहार घाटी का सफ़र -4 ‘मामा अब नहीं आएंगे हम ट्रैकिंग में… ! मिलम गांव से मुनस्यारी को वापस आते वक्त नितिन के ये शब्द मुझे मुनस्यारी पहुंचने तक कचोटते रहे. ऐ... Read more
माफ़ करना हे पिता – 4
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 3) उन्हीं दिनों कभी मैंने पिता से पूछा कि क्या इंदिरा गांधी तुमको जानती है ? क्योंकि वे खुद को सरकारी नौकर बताते थे और लोग कहते थे कि सरकार इंद्रा गांध... Read more
रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 4
(पिछली क़िस्त का लिंक – रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 3) वेदनी बुग्याल को पार करते हुए हम घोड़ा लौटानी की ओर निकल गये और वहाँ से पाथरनचुनिया जायेंगे. जहाँ हमारा आज का कै... Read more