ट्रेल पास अभियान भाग – 5
पिछली कड़ी पिण्डारी कांठा में चार दिन पांच अक्टूबर के प्रातः ही चाय के पश्चात् चन्दोल, तेवारी, शाहजी और कीर्तिचन्द दो कुलियों को साथ लेकर आगे निकल गये. ग्यारह बजे हमने भी प्रस्थान किया. तख्ता... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग – 2
पिछली कड़ी विवाहोपरान्त पुत्री की विदाई सर्वत्र करूण होती है. वह मां की दुलारी है, जिसने उसे पालपोस कर बड़ा किया, उपयुक्त गृहिणी के सभी गुण लाने का प्रयास किया है. किन्तु आज वह वृ़द्धा भी अपने... Read more
बहुत कम समय भी रहता है देर तक
मन का गद्य -शिवप्रसाद जोशी एक हल्की सी ख़ुशी की आहट थी. लेकिन जल्द ही ये आवाज़ गुम हो गई. फिर देर तक एक बेचैनी बन गई. जैसे उस ख़ुशी को समझने का यत्न करती हुई. क्यों थी वो. क्या थी वो. बेचैनी... Read more
जैसे कोई कीमती चीज सदा के लिए मिट्टी में मिल गई हो
इक नग़मा है पहलू में बजता हुआ – शंभू राणा करीब पांचेक साल बीत गए सतीश को गुजरे हुए. वह मेरा बालसखा था और इस शहर में बनने वाला पहला दोस्त भी. करीब पैंतीस-छत्तीस साल पहले जब हम पहली बार म... Read more
ओह कसारदेवी : एक फोटो निबंध
सभी फोटो जयमित्र सिंह बिष्ट के हैं. काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें Read more
आदमी उस तहखाने के नाम से डरता था
भय के कोने भय से निजी कुछ नहीं. कुछ पल हर आदमी के जीवन में लौट लौट कर आते हैं जिनमें वो निष्कवच होता है, नितांत अकेला होता है. और सबसे ज़्यादा निर्बल भी. वो इन पलों में बुरी तरह डरा हुआ होता... Read more
पिथौरागढ़ नैनीसैनी गाँव की एक आमा है जो एक ज़माने में गांव के लड़कों की काखि ( चाची ) हुआ करती थी. नैनीसैनी की उपजाऊ जमीन को हवाई पट्टी में बदलने के लिए जब पहली बार सरकार बहादुर गांव में आयी का... Read more
(पिछली कड़ी से आगे) अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी आलोक धन्वा क्या थ्रिल के कवि हैं. क्या उनकी कविताएं कंपन और थर्राहट से भरी हुई हैं. वो कोयल बुलबुल ब... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 9
उजाले के कमांडो आज सुबह जरा जल्दी जग गये. जल्दी मतलब पांच बजे. इत्ता जल्दी जगने पर समझ नहीं आया तो फ़िर पलटकर सोने की कोशिश की. लेकिन जैसे चुनाव में एक के चुनाव क्षेत्र की टिकट दूसरे को मिल ज... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 4
पिछली कड़ी 30 सितम्बर के प्रातः एक नेपाली कुली को अल्यूमीनियम की सीढ़ी के शीघ्र बुढ़ियागल के नाले तक पहुंचाने हेतु भेजा गया, साथ में दो सदस्य भी सहायक के रूप में गये. राजेश शाह, राकेश शाह और कि... Read more