पहाड़ और मेरा बचपन – 5
पिछली क़िस्त – पहाड़ और मेरा बचपन – 4 गांव में उन बहुत बचपन के दिनों के बाद मुझे दिल्ली के दिन याद आते हैं. पर दिल्ली का बचपन विषय से बाहर का मामला हो गया. लेकिन अगर उस बचपन के बारे में... Read more
अक्लमंद सियार की कहानी
अफ्रीकी लोक कथाएँ – 8 “सुनो, सुनो, सुनो, मेरे बच्चो,” एक शाम गोगो ने बोलना शुरू किया. “जानते हो न, अक्लमंद होना बहुत ज़रूरी होता है! याद नहीं अक्लमंदी के कारण कितनी दफ़ा नोग्वाजा मरते मरते ब... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 8
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
गंगा की धारा और लोगों की ज़िंदगियां
गंगा के उद्गम गोमुख और गंगोत्री से कुछ किलोमीटर नीचे उत्तरकाशी की तरफ़ यानी डाउनस्ट्रीम, तीन अहम जलबिजली परियोजनाएं थीं. केंद्र की लोहारी नागपाला और राज्य सरकार की पालामनेरी और भैरोंघाटी. लो... Read more
बैसी उत्तराखण्ड में सावन के महीने में 22 दिनों तक मनाया जाने वाला लोकपर्व है. यह त्यौहार खरीफ की फसल में जुटकर थक चुके किसानों में नयी उमंग पैदा करता है. इस त्यौहार में किये जाने वाले धार्मि... Read more
सियारों को जूठन में पलने का श्राप
कथाएं लगाने और सुनने सुनाने की कोइ उम्र नहीं होती. तो लीजिये मेरी कथा लगाने की, सुनने की कड़ी में दादी, दादाजी के अलावा एक नई पात्र अचानक शामिल हो गयी. याद नहीं कितने सालों या दशकों के बाद गं... Read more
उसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता है
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 7 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
मैं ही मैं हूँ, मैं ही सूर्य हूँ, मैं ही मनु…
कॉलेज के दिन थे. रंगीन रुमाल मे इत्र के फाहे रखने की उम्र थी. तो दूसरी तरफ परंपरा-विद्रोह की अवस्था. साइकिल खींचना, तौहीन मानने की उम्र हो चली थी. कॉलेज जाये बिना गुजर भी नहीं थी. युक्ति और... Read more
उत्तराखंड की पहली अद्भुत वीरांगना – जियारानी
संसाधनहीनता के कारण उत्तराखण्ड के नायक-नायिकाओं को वो स्थान नहीं मिल पाया; जिसके वे पात्र थे. इसमें इतिहासकारों की कंजूसी भी शामिल है. जिस प्रकार झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वतंत्रता स... Read more
रेडियो पर पहली लाइव क्रिकेट कमेंट्री एक पादरी ने की थी
बीबीसी को इस क्षेत्र में पायनियर का दर्ज़ा इस लिहाज़ से हासिल है कि 14 मई 1927 को चर्च में भाषण दे रहे एक पादरी महोदय से रेडियो पर लाइव क्रिकेट कमेंट्री करने का निवेदन किया गया. इंग्लैण्ड के ल... Read more