धारचूला के सीमांत गांव छिपलाकोट की छिपला जात
सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील में काली एवं गोरी घाटी के मध्य उच्च हिमालय में स्थित छिपला कोट, अपने में विशेष धार्मिक महत्व रखता है. समुद्र तल से लगभग 4200 मीटर की ऊचाई एवं बरम कस्ब... Read more
सिनेमा: पहले दिन के पहले शो का देशी रोमांच
आज से तीस साल पहले तक जब डिजिटल तकनीक का कोई अता-पता नहीं था हर शुक्रवार को फ़िल्म रिलीज़ होना एक बड़ी सांस्कृतिक कार्रवाई जैसा था. कई बार फ़िल्म के प्रचार के लिए साइकिल रिक्शे पर बड़े होर्डिंग ल... Read more
छोटा होने की यंत्रणा से गुजरते भाई साहब
भाई साहब को बचपन से ही ‘बड़ा आदमी’ बनने की ललक लग गई थी. तभी उन्होंने देख लिया था कि बड़े आदमियों के जलवे हैं. जहां देखो उन्हीं का बोलबाला है. सब उन्हीं की बातें करते हैं. हीरो तो... Read more
तुम मेरे इस जनम का अंतिम प्रेम हो
अंतिम प्रेम -चंद्रकांत देवताले हर कुछ कभी न कभी सुन्दर हो जाता हैबसन्त और हमारे बीच अब बेमाप फासला हैतुम पतझड़ के उस पेड़ की तरह सुन्दर होजो बिना पछतावे केपत्तियों को विदा कर चुका हैथकी हुई... Read more
आज से देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू
आज से देहरादून में 350 वर्ष पुराने ऐतिहासिक झंडा मेला की शुरुआत हो चुकी है. होली के ठीक चार दिन बाद एक महीने तक चलने वाला झंडा मेला शुरू होता है. इस मेले में सुबह दरबार साहिब के बाहर स्थापित... Read more
चालबाज़ आदमी और दोस्ती की परख
अफ्रीकी लोक कथाएँ – 10 दो लड़के पक्के दोस्त थे. उन्होंने हमेशा एक दूसरे के साथ बने रहने का वादा किया हुआ था. जब वे बड़े हुए उन्होंने आमने-सामने अपने घर बनाए. दोनों के खेतों के दरम्यान एक पतल... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 10
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
क़स्बे की एक सर्द रात – 1
“आप क्या लेना पसंद करेंगे सर?”, कहीं दूर से आती वो खनकती सी आवाज़ उसे एक झटके में किसी गहरी गुफ़ा से बाहर निकाल लाई. उस हर तरह से ठंडी, ख़ामोश रात के पौने ग्यारह बजे वो अपने उस छोटे... Read more
थोड़ा अधिक आदमी होकर देखेंगे तो
चन्द्रकान्त देवताले 7 नवंबर 1936 को जौलखेड़ा, बैतूल (मध्य प्रदेश) में जन्मे चन्द्रकांत देवताले समकालीन हिन्दी कविता के सबसे बड़े हस्ताक्षरों में से थे. उन्होंने अपने कार्य के लिए साहित... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 7
पिछली कड़ी अलविदा नैनीताल हां, नैनीताल ही याद आता रहा और मैं जैसे कहीं दूर खड़ा होकर मन ही मन उसे देखता रहा… पानी से डबाडब भरा विशाल ताल और हरे-भरे जंगलों से घिरा मेरा शहर नैनीताल. बांज,... Read more