बिजट मंदिर : एक फोटो निबंध
लगभग शाम का 6 बज गया था जब मैं हिमांचल प्रदेश में चूड़धार का ट्रेक करके बिजट महाराज के मंदिर पहुंची. ये मंदिर हिमांचल प्रदेश की हेम्बल घाटी के चौपाल कस्बे से 26 किलोमीटर दूर है. मंदिर की दो... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 6
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव बॉबी चचा के जज़्बात @ मौक़ा-ए-वारदात गुडी गुडी मुहल्ले में एक पुलिस थाना खुला और जैसा कि होना चाहिए उसके खुलते ही वहां अपराध बढ़ने लगे. कुछ लोग इस घटना को ‘आवश्यकत... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 30
बाबा नीम करोली महाराज को लेकर भी श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा रही है अपने बचपन को याद करते हुए डॉ. मुनगली बताते हैं सन 1952 में जब वह दो-तीन साल के थे घर से बाहर घूमते हुए खो गए. ढूंढ खोज के... Read more
सांयकाल के लगभग हम टर्की की सीमा पर पहुंचे. सीमा पर यात्रियों की भीड़ लगी हुई थी. रात के 10 बजे के लगभग हमें ईरान में प्रवेश करने दिया गया. तेहरान में अस्तित्व की लड़ाई यात्रा एक नशा है और यह... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 20
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
राज्य स्थापना दिवस विशेष – 3
आज से 18 साल पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था. उत्तरप्रदेश से अलग होकर ये नया राज्य बना है इसके अलावा शायद मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता था. हालाँकि पिताजी की मुंह से इसको लेकर चल रहे आंदोलनों... Read more
राज्य स्थापना दिवस विशेष – 2
मैंने कभी स्कूल का भात नहीं खाया. हमारे टाईम पर मिलता भी नहीं था. मैं जब सातवीं में पहुंची तब से स्कूल में दिन के समय भात मिलना शुरू हुआ. मेरे बाद की मेरी दोनों बहनों ने जरुर भात खाया. मैं प... Read more
राज्य स्थापना दिवस विशेष – 1
उत्तराखण्ड शब्द मैंने पहली बार कक्षा तीन में ईजा बाबू के झगड़े में सुना था. बाबू की थल में परचून की दुकान थी. जो उन दिनों कई दिनों तक बंद रही थी. बाबू रोज देर शाम नशे में धुत्त घर आते और अक्स... Read more
मीडिया व बाजार धीरे-धीरे हमारी विभिन्न लोक व उसकी संस्कृतियों को निगलते जा रहे हैं. और यह इतने धीरे से दबे पॉव हो रहा है कि हमें पता ही नहीं चल रहा है कि हम अपने “लोक” व उसकी संस... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 10
पिछली कड़ी सायोनारा…सायोनारा सिकंदराबाद स्टेशन पर मैंने एलिस से पूछा, “काफी पिएं?” वह बोली, “जरूर.” मैंने काफी मंगाई. हम बस काफी पी ही रहे थे कि बगल के जनरल डिब्बे से हमारा अधेड़ फील्डमै... Read more