रामनगर का गर्जिया माता मंदिर
गर्जिया देवी मन्दिर उत्तराखण्ड के लोकप्रिय मंदिरों में एक है. यह रामनगर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर ढिकुली और सुंदरखाल गांव के पास बना हुआ है. यह माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक... Read more
हंसा मनराल भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच रही हैं. रोमा देवी, कर्णम मल्लेश्वरी, ज्योत्सना दत्ता छाया अनीता चानू आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो हंसा मनराल के प्रशिक्षणार्थी रहे. हंसा मनराल के दिशा... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 29
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
अमित साह का नैनीताल भाग – 2
अंग्रेजों के आधिपत्य के बाद ई. गर्डिन को 8 मई 1815 को कुमाऊं मण्डल के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. 1817 में कुमायूं के दूसरे आयुक्त जी.जे. ट्रेल ने कुमायूं के दूसरे राजस्व निपटान का स... Read more
पार्वती-महादेव और निठल्ले इंसानों की कथा
दादी तू ये बता कि शिवजी भगबान ओ दूर बरफ़ वाले पहाड़ में क्यों रहते हैं.उनके पास हमारे जैसा घर क्यों नहीं है. तू तो कहती है भगवान सब कुछ कर देता है. सबको शिवजी ही देते हैं. अपने लिए तो उसने एक... Read more
घोर कलजुग इसी को कहते हैं
उन दिनों समाज में नैतिकता का जोरदार आग्रह रहता था. हर किसी पर घनघोर नैतिकता छाई रहती थी. लड़के, अपने परिवार के सदस्यों से तो डरते ही थे, मोहल्ले वालों से उनसे भी ज्यादा डरते थे. अपनों ने देख... Read more
मानकीकरण से हिंदी की टांग मत तोड़ो भाषा, मानकीकरण और व्याकरण का रिश्ता बहुत पुराना है हालाँकि बाहर से देखने पर यह जितना सहज दिखाई देता है, व्यवहार में उतना है नहीं. देखा यह गया है कि कुछ देर... Read more
नन्दवंश से पूर्व उत्तराखण्ड
उत्तराखंड का इतिहास भाग – 5 उत्तर भारत में कांस्ययुगीन सभ्यता के अंत के बाद अनेक छोटे छोटे जनपदों का उदय माना जाता है. इस काल में वर्तमान उत्तराखण्ड क्षेत्र के विषय में कुलिन्द जनपद शब... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 28
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
सुबह करीब 6 बजे मैंने तुंगनाथ के लिये पैदल चलना शुरू किया. चोपता का छोटे पर महंगे बाजार को पार करके में पैदल रास्ते में आ गयी. ये रास्ता पत्थरों से बना है ताकि इसमें खच्चरों भी उन लोगों को ल... Read more