फिल्म दिल्लगी(1978) में सट्ल ह्यूमर (Subtle humour) की श्रेष्ठ बानगी देखने को मिलती है. फिल्मकार ने, मानव- स्वभाव के सूक्ष्म मनोविज्ञान को गहरे से पकड़ा है. ऐसा प्रयोग बासु चटर्जी ही कर सकते... Read more
गुरु अंगद देव, ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ, Guru Angad Dev (31 मार्च 1504 से 16 अप्रैल 1552) गुरु अंगद देव सिख धर्म में मनुष्य के रूप में अध्यात्मिक गुरु का दर्जा पाने वाले 10 गुरुओं में से एक हैं. वे सि... Read more
1930 और 1940 के दशकों में भारतीय फिल्मों की सबसे मशहूर नायिका हुआ करती थीं देविका रानी चौधरी उर्फ़ देविका रानी (30 मार्च 1908 – 9 मार्च 1994). ‘द फर्स्ट लेडी ऑफ़ इन्डियन सिनेमा’ के नाम से मशहू... Read more
देशभर में चुनाव का माहौल है. नेता आदत के अनुसार कुछ भी बोल रहे हैं. उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव पहले चरण में होने हैं इसलिए यहां चुनावी गर्मी तेज हो गयी है. जाहिर है चुनावी गर्मी में नेता किस... Read more
वनवासियों की व्यथा : बेदखली
लेख का पिछ्ला हिस्सा यहां देखें : वनवासियों की व्यथा अनुसूचित जनजातियां व घुमंतु वनवासी प्रकृति के साथ अनुकूल-समायोजन कर विकट दुरुह परिस्थितियों में पुश्त-दर-पुश्त वनों से अपना जीवन यापन करत... Read more
कवि कहना शर्म के चलते अब छोड़ दिया है
कुछ ख़बरें इतने चुपचाप से आकर निकल जाती हैं कि समकालीन हिंदी साहित्य समाज उसका नोटिस ही नहीं ले पाता. इसी तरह की एक ख़बर दो-चार दिन पहले आई और अखबार के बहुत छोटे से कॉलम में सिमट कर रह गई. ख़बर... Read more
उत्तराखण्ड का बीमार स्वास्थ्य तंत्र
अस्पताल दूर हैं भगवान पास उच्च हिमालयी क्षेत्रों के पैदल रास्तों से लौटते हुए सैलानियों से दवा मांगते ग्रामीणों का मिलना आम है. ये ग्रामीण बहुत विनम्रता के साथ शहरों को लौटते सैलानियों से दव... Read more
अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!
पत्रकार महोदय – वीरेन डंगवाल ‘इतने मरे’ यह थी सबसे आम, सबसे ख़ास ख़बर छापी भी जाती थी सबसे चाव से जितना खू़न सोखता था उतना ही भारी होता था अख़बार. अब सम्पादक चूंकि था प्रका... Read more
वनवासियों की व्यथा
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सोलह राज्यों के 11.8 लाख वनवासियों की दावेदारी को ख़ारिज कर दिया था. देश की 15 प्रतिशत भूमि पर रहने वाले इन वनवासियों की मांग पर भारतीय आमचुनाव की तैयारी की राजनीत... Read more
तब इंदिरा गांधी से महिलाएँ बहुत प्रभावित थी
तब हम हल्द्वानी के गौरापड़ाव के हरिपुर तुलाराम गांव में ही रहते थे. मुझे हल्की सी याद अभी भी है कि तब युद्ध का समय था. रात में कई बार घर में बाबू कहते थे बाहर उजाला मत करो, नहीं तो दुश्मन के... Read more