उत्तराखंड के प्रमुख वन आंदोलन
उत्तराखंड में वन आन्दोलन का एक लंबा इतिहास रहा है. अलग-अलग समय पर यहां के लोगों ने अपने वन अधिकारों के लिये लड़ाई लड़ी है. जानिये उत्तराखंड में हुए कुछ प्रमुख वन आंदोलन : रंवाई आंदोलन मई 1930... Read more
उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाके को ध्यान से देखा जाय तो मालूम पड़ता है कि मनुष्य और प्रकृति के सम्बन्ध पिछले करीब दो सौ बरसों में बहुत बिगड़े हैं और इन्हें बिगाड़ने का काम केवल मनुष्य ने किया है. (Ut... Read more
ईवीएस… ईवीएस होता है, इसमें हम ईवीएस पढ़ते हैं
हाल ही में एक सज्जन के घर खाने पर उनके पुत्र से मुलाक़ात हुई. एक आम भारतीय की तरह मेहमान देखते ही ख़ुद मदारी बन बच्चे से मानसिक गुलाटी करवाने का दौर शुरू हुआ. इस दौरान बच्चे के हमेशा 100 में 1... Read more
देखिये कैसे उत्तराखंड के लोगों के वैवाहिक जीवन का हिस्सा बना मैती आंदोलन
उत्तराखंड में पर्यावरण से लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने वाले एक आंदोलन का नाम है मैती आंदोलन. मैती आंदोलन Maiti Movement नाम से बने अपने फेसबुक पेज पर आन्दोलन के संबंध में लिखा गया है कि स... Read more
अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे
बात सन् 1982 के शुरुआती दिनों की है जब आमा लोहे के सन्दूक में पूरा पहाड़ समेटकर वाया बरेली यहाँ आयी थी. साल – डेढ़ साल ही रही होंगी बरेली में ! वर्ष 1970 से पूर्व दो – तीन बार गर्... Read more
नंदाकोट पर्वत की तलहटी कुमाऊँ की प्रसिद्ध नदियों, सरयू व गोमती के तट पर बसा है दानपुर परगना. 1997 में बागेश्वर जिले में शामिल किये जाने से पहले तक दानपुर अल्मोड़ा जिले का हिस्सा हुआ करता था.... Read more
भीमताल और टूट चुके पत्थर का दर्द
शायद 69-70 के दशक की बात होगी, मैं तब भीमताल के एल. पी. इंटर कॉलेज में आठवीं या नवीं का छात्र रहा होउंगा. जून के आख़िरी सप्ताह या फिर जुलाई की शुरुवात थी. शाम के वक्त अचानक एक खबर सुनी, बाज़ार... Read more
कुमारस्वामी और काम के वे दिन
कहो देबी, कथा कहो – 45 पिछली कड़ी – कहां थे मेरे उजले दिन “हां, तो कहो देबी. फिर क्या हुआ? तुम किसी नाटक की बात कर रहे थे?” “हां तो सुनो, मैं नाटक की बात करने आला अफसर हरवंत सिंह जी के... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – नवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: सबसे मुश्किल है अच्छा इंसान बन पाना चलो आज मैं तुम्हें अपने उस ‘सीक्रेट‘ के बार में बताती हूं जिसका जिक्र मैंने इस खत के शुरू म... Read more
अल्मोड़े में अपनी राजगद्दी छिनने के बाद चंद राजा मोहनचंद मदद के लिये जगह-जगह भटक रहा था. उसे गुजर के लिये 10 रुपये रोज के मिल रहे थे जिसमें उसकी गुजर कहां होनी थी. मोहन चंद मदद के लिये रामपुर... Read more