भारत के सबसे ‘अ’ लोकप्रिय मुख्यमंत्री
पिछले दिनों एक न्यूज चैनल द्वारा कराये गये सर्वे में देशभर के मुख्यमंत्रियों में सबसे अलोकप्रिय बने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत. इससे पिछले वर्ष इस सूची में उनका स्थान दूसर... Read more
पेट को फ्लैट और फौलादी बनाएंगे ये आसन
कुछ ऐसे आसन है जिनका अगर हम नियमित अभ्यास करें, तो वे न सिर्फ हमेशा के लिए पेट की बीमारियां. ठीक कर देते हैं, वे पेट को पँऊ्लैट और फौलादी बनाने में भी मदद करते हैं. आज यहां ऐसे पांच आस... Read more
बारिश में दो सहेलियों का पहाड़ी सफ़र
अभी विमान देहरादून में उतरा भी नहीं था की वहाँ के मौसम का आभास हो चुका था. पायलट बाबू पहले ही कुर्सी की पेटी पहने रखने का संदेश दे चुके थे. हिलते-डुलते विमान सही सलामत देरादून हवाई अड्डे पर... Read more
औली: हमारा अपना स्विटजरलैंड
चारों तरफ सफेद बर्फ की चादर से ढँकी पर्वत श्रृंखलाएँ. रोपवे पर लगातार आती-जाती ट्रॉलियाँ. पहाड़ों के बीच बर्फ से ढके छोटे से मैदान में बनी एक कृत्रिम झील. झील के चारों ओर विचरण करते सैलानी.... Read more
भाव राग ताल नाट्य अकादमी पिथौरागढ एवं ओएनजीसी देहरादून के सहयोग से विलुप्त होते जा रहे लोकपर्व जैसे साँतु-आँठू और हिलजात्रा को संरक्षित करने हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला का... Read more
मनुभाई और उनका मनसुख
पूरब के कुछ इलाकों में दुश्मन के नाम का कुत्ता पालने का रिवाज रहा लेकिन कुत्ता पालने का असली मकसद ये कभी नहीं था. शुरुआत में तो उसे साथ के लिए पाला गया, फिर चौकीदारी के लिए. जब इंसान अकेला र... Read more
आज मकर संक्रांति के दिन जागेश्वर धाम में ज्योतिर्लिंग को घी से ढकने के परम्परा पूरी की गयी. प्रत्येक वर्ष माघ माह की पहली गते को गाय के घी को पानी में उबालकर इससे ज्योतिर्लिंग को ढक दिया जात... Read more
आज के दिन सौ साल पहले बागेश्वर की फ़िजा गर्म थी
सौ बरस पहले 14 जनवरी की सुबह बागेश्वर की फ़िजा में अलग गर्मी थी. आज सरयू कल-कल के बजाय दम्मू की दम-दम करती ज्यादा लग रही थी. बागेश्वर में आज कौवे तो बुलाने ही थे पर साथ में उड़ाने थे ब्रितान... Read more
उत्तरायणी में कौवो को खिलाने की परंपरा के बारे में कई जनश्रुतियां एवं लोककथाएँ प्रचलित हैं. इनमें से एक लोक कथा इस प्रकार है– (Folktale About Uttarayani Festival) बात उन दिनों की है जब कुमाऊ... Read more
जै जिया के जयकारे से गूंजा रानीबाग
मकर संक्राति की सुबह कड़-कड़ाती ठंड में स्नान के साथ समाप्त होता जियारानी का मेला. इससे पिछली रात रानीबाग़ में गार्गी नदी किनारे में बैर गाये जाते हैं जागर लगाई जाती है. हुड़का, मसकबीन, ढोल, दम... Read more