गंगोलीहाट का इतिहास
बागेश्वर से नीचे सरयू और पूर्वी रामगंगा के नीचे गंगोली रमणीय भू-प्रदेश है. इसके बारे में कविवर गुमानी ने कुमाऊनी भाषा में लिखा है:(History of Gangolihat Pithoragarh) केला, निम्बू, अखोड़, दाड... Read more
पंचेश्वर घाटी की ख़ुशनुमा तस्वीरों को देखेने के बाद आपका दिल इसे डुबो देने की गवाही नहीं देगा
गहरे हरे रंग के जंगलों के बीच एक नीले पानी वाली साफ नदी जाती है. लम्बी चलने वाली नदी और उसके साथ का जंगल मिलकर इंसान को उनके किनारे बसने की जगह देते हैं. नदी, जंगल और इंसान मिलकर दुनिया की स... Read more
‘खलंगा’ नेपाली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ छावनी या कैंटोनमेंट होता है. अंग्रेज इतिहासकारों ने अपनी भाषिक समझ के हिसाब से इसे किला कहा, जबकि यह एक सुदृढ़ किला नहीं था. युद्ध के ठीक पहले सेना... Read more
-मनीष आज़ाद हिरोशिमा, शिन और उसकी तिपहिया साइकिल हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के ठीक 4 दिन पहले शिन को उसके तीसरे जन्मदिन पर चटक लाल रंग की तिपहिया साइकिल उसके चाचा ने दी थी. उस समय बच्चों के... Read more
भातीय हॉकी के लिये आज दिन बेहद ख़ास है. जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल आज भारतीय टीम ने ओलम्पिक में पदक जीता. जानिये उत्तराखंड के एक हॉकी प्लेयर के बारे में जिसकी बदौलत 1956 में भारत ने ओलं... Read more
ओलम्पिक सेमीफाइनल में हार के बाद हरिद्वार में वंदना कटारिया के घर के बाहर शर्मनाक नाच और जातिगत टिप्पणियां
टोक्यो ओलम्पिक में हैटट्रिक लगाकर इतिहास रचने वाली उत्तराखण्ड की वंदना कटारिया के परिवार पर स्थानीय लोगों ने जातीय टिप्पणिया कीं. गौरतलब है कि वंदना कटारिया ओलम्पिक के 125 साल के इतिहास में... Read more
ऐड़ी: ऊंचे शिखरों पर रहने वाले लोक देवता
गांव में यह परम्परा थी कि जब भी गाय ब्याती (प्रसव) तो 22 दिन पूरे होने पर उस गाय का दूघ ऐड़ी देवता के मन्दिर में अर्पित किया जाता. 22 दिन से पूर्व का दूध ऐड़ी देवता को चढ़ाने के लिए अशुद्ध म... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : उसने तो नहीं कहा था
राइफल की बुलेट आड़ के लिए रखी हुई शिला पर से फिसलती हुई जसवंतसिंह के बाएँ कंधे में धँसी थी, मगर फिर भी काफी गहरी चोट लग गई थी. उसकी आँखें इस वेदना से पथराकर यों घूम गई थीं, जैसे गोली खेलने म... Read more
आम बहुत ख़ास है.
आम फलों का राजा है. ना ! ये राजा नहीं चक्रवर्ती सम्राट है फलों का. दुनिया में ज़्यादातर देशों में भले लोकतंन्र हो और वहाँ के आम लोग चुनाव जीतते ही मद में चूर होकर ख़ास होने के दर्प से तमतमाए... Read more
अपनी मूर्खता से न मरो, प्रकृति की इज्जत करो
यह बात सही है कि पृथ्वी पर जिसका जन्म हुआ है, उसे एक दिन मरना भी है. लेकिन आ बैल मुझे मार वाली नौबत क्यों आए. पिछले कुछ महीनों में मुझे सोशल मीडिया और खबरों के जरिए मृत्यु की जैसी खबरें देखन... Read more