उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ
उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं के लिए अत्यंत संभावनाशील राज्य बनाती हैं. यहां धार्मिक, आध्यात्मिक, प्राकृतिक व रोमांचका... Read more
अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे पहला कार्य बालेश्वर में महादेव की उपासना को पुनः स्थापित करना था. लेकिन स्थितियाँ जल्द ही बदल गईं. राजा के गद्द... Read more
कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी
हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप “पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप” और “पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद” कहानियाँ पढ़ चुक... Read more
पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद
आपने यह कहानी पढ़ी “पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप“. आज की कहानी में जानते हैं पुष्पदंत के साथ आगे क्या हुआ. श्राप के कारण, पुष्पदंत धरती पर वररुचि (जिन्हें कात्यायन भी कहा... Read more
चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी
बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री रहती थी. उसका पति, एक नाई, बहुत आलसी था. वह दिन भर चौराहे पर बैठकर गप्पें मारना पसंद करता था, लेकिन काम बहुत कम करता था. इ... Read more
माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम
आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ बढ़ रहा है. पेड़ों के पत्तों की एक कहानी पूरी होने को है. पर मैं जो कहानी बताने जा रही हूं. इसकी शुरुआत आज से पाँच साल पहले... Read more
धर्मेन्द्र, मुमताज और उत्तराखंड की ये झील
धर्मेन्द्र की मृत्यु की खबर ने दुनिया भर में उनके चाहने वालों को शोक में डाल दिया है. उनके लंबे और बहुरंगी करियर में अनेक फ़िल्में ऐसी हैं जो आज भी दर्शकों के मन में बसी हुई हैं. इन्हीं में... Read more
घुटनों का दर्द और हिमालय की पुकार
मॉं वर्षों पहले दुनिया छोड़ चली गई और उसके जाने के बाद मुझे पता चला कि वह मुझसे बहुत प्रेम करती थी. गठिया, ब्लड प्रेशर समेत अपनी तमाम बीमारियां परिवार में सबसे छुपाकर चुपचाप मुझे सौंप गई. अक... Read more
“.. बहुत हुआ हे इष्ट देबो, जिन्होंने मेरे परिवार के साथ अन्याय किया, उनको अब तू ही समझना… गोल्ज्यू मेरा इंसाफ़ करना, तुम्हारे मंदिर में अर्ज़ी लगाने आ रही हूँ मैं…” माथे पर... Read more
पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप
महान हिमवत्, पर्वतों के राजा के रूप में प्रसिद्ध हैं और किन्नरों, गंधर्वों तथा विद्याधरों का निवास स्थान हैं. वे इतने महान हैं कि तीनों लोकों की जननी भवानी उनकी पुत्री के रूप में जन्मी थीं.... Read more


























