पवन पहाड़ी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
दादि, दादि, दादि मि छूं पवन पहाड़ी… ठेठ पहाड़ी लटेक में कही गयी ये वो पंक्ति है जो शायद ही किसी कुमाऊनी परिवार में न सुनी गयी हो. पिथौरागढ़ जिले में एक छोटा सा गांव है कफलेत. गांव जाने... Read more
जैसे कल की ही बात हो. गोपेश्वर के भूगोल के बिम्बों से प्रेमिका का नख-शिख वर्णन करता एक लम्बी दाढ़ी वाला हँसमुख कवि ध्यान आकर्षित करता है. यहीं हेड पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं, बहुत अच्छे चित्... Read more
सुनने में बेशक बड़े आकर्षक व लुभावने लगते हैं उसूल. लेकिन जब अमल में लाने की बात होती है, तो ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं – ’’ एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है’’. कमोवेश अगर कोई उसू... Read more
गिर्दा तुमने जिंदगी भर क्या कमाया है
गिर्दा के बारे में उचित ही कहा जाता है कि वो कविता करता नहीं जीता था. और जब कविता सुनाता था तो लगता था जैसे अंग-अंग से कविता फूट रही हो. भरपूर अवसरों के बावजूद गिर्दा ने अपनी सृजनशीलता को व्... Read more
जब गिर्दा ने अपनी गठरी चुराने वाले को अपनी घड़ी देकर कहा – यार मुझे लगता है, मुझसे ज्यादा तू फक्कड़ है
गिर्दा में अजीब सा फक्कड़पन था. वह हमेशा वर्तमान में रहते थे, भूत उनके मन मस्तिक में रहता था और नजरें हमेशा भविष्य पर. बावजूद वह भविष्य के प्रति बेफिक्र थे. वह जैसे विद्रोही बाहर से थे कमोबे... Read more
पहाड़ में नीली क्रांति को समर्पित कुमकुम साह
पंडा फार्म पिथौरागढ़ में कभी कभार ताजी साग सब्जी खरीदने, अंडा मुर्गी लेने जाना होता. जर्सी नसल की गायों का दूध भी मिलता. यह चीजें मिलने का टाइम तय होता. सुबह और शाम. सारा माल बिलकुल ताज़ा और... Read more
गिर्दा: जनता के कवि की दसवीं पुण्यतिथि है आज
गिरदा भौतिक रूप से आज हमारे बीच में नहीं हैं एक शरीर चला गया लेकिन उनका संघर्ष, उनकी बात, उनके गीत, उनकी लोक नाटकों में उठाये गये मुद्दे और जो कुछ वह समाज को दे गये वह सारा कुछ हमेशा जनसंघर्... Read more
उत्तराखण्ड की मंदाकिनी-उपत्यका में आज से ठीक सौ साल पहले एक कवि जन्मा था जो सही मायने में हिमालय का सुकुमार कवि था. अल्पायु और छायावाद को अपनी कविता का प्रस्थान-बिंदु बनाने के कारण उनकी तुलन... Read more
पहाड़ की यादों को कैद करने वाला पिताजी का कैमरा
जिस आदमी ने ताज़िंदगी कलाई पर घड़ी न पहनी हो, अपने खरीदे रेडियो-टीवी में खबर न सुनी हो उस आदमी के पास भी कोई गैजेट रहा हो, क्या ये कहीं से सम्भव लगता है. पर ऐसा था. पिताजी के पास अपना एक कैम... Read more
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भूलती सरकारें : बागेश्वर से 98 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह चौहान की बात
आजादी के बाद से ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान और शौर्य के नाम पर सरकारें हर साल 15 अगस्त को खूब वायदे करते आ रहे हैं लेकिन अब सरकारें उनकी बातें सुनना तो दूर उनकी सुध भी लेने में... Read more