धारचूला के तेनसिंह को सलाम जिसने भांडमजुवा बनने की बजाय खुद्दारी से जिया अपना जीवन
आज किसी भाई ने अपने फेसबुक पोस्ट में ‘भांडमजुवा’ शब्द का प्रयोग किया है. वही भांडमजुवे जो अपने गांवों से भागकर शहर-कस्बों में जाकर वहां के होटल-ढाबों में बर्तन मांजने का काम करते... Read more
काफल के समय काफल के नोस्टाल्जिया पर अक्सर बात होती ही है लेकिन इसी को सकारात्मक तरीके से देखें तो यह वह समय होता है जब बचपन की अनेक यादें दृश्य के रूप में अचानक धड़धड़ाते हुए आ जाती हैं. शायद... Read more
मुक्तेश्वर में मनोज बाजपेयी से एक्सक्लूसिव बातचीत
अपने शानदार और मौलिक अभिनय से हिंदी सिनेमा में अपना लोहा मनवाने वाले मनोज बाजपेयी इन दिनों कुमाऊं के मुक्तेश्वर में ठहरे हैं. लॉकडाउन के कारण शूटिंग रद्द होने के कारण मनोज बाजपेयी अपने परिवा... Read more
कोरोना महामारी के दौर में भी उत्तराखण्ड के सवर्णों पर जातिवादी दंभ का नशा सर चढ़कर बोल रहा है. ताजा मामले में ओखलकांडा क्षेत्र में क्वारंटाइन किये गए 2 सवर्णों ने अनुसूचित जाति की भोजन माता... Read more
पिछली सदी के साठ का दशक वह दौर था, जब शिक्षा का मतलब केवल शिक्षा होता था, शिक्षित होकर ओहदा पाने का सपना हमें कम ही दिखाया जाता था. अधिकांश अनपढ़ अथवा साक्षर अभिभावकों को न करियर काउन्सिलिं... Read more
आपने कभी मुस्कान की सब्जी खाई है?
बहुत लजीज,पौष्टिक और कम समय पर पकने वाली. केवल नमक और तेल के साथ ही गजब का स्वाद देने वाली. मसालों की दरकार नहीं. ऐसी होती है, मुस्कान की सब्जी. Muskaan Vegetable of Chaundas Nrip Singh... Read more
दिल्ली में प्याज काटने के ऑफिस जाने से कहीं बढ़िया हुआ अपने गांव में खेतीबाड़ी का अपना काम
बालम उर्फ बाली के पास बैलों की एक जोड़ी थी. वह मेहनती था और व्यवहार कुशल भी, जिसके चलते वह गांव ही नहीं आसपास के गांवों का भी चहेता था. रोजगार के नाम पर उसके पास काम की कमी नहीं थी. उसके पास... Read more
उत्तराखंड में सैनिकों को समर्पित एक बड़ा लोकप्रिय गीत है – घुघूति न बासा, आम की डाई में घुघूति न बासा. कुमाऊं के सबसे लोकप्रिय गायक गोपाल बाबू गोस्वामी ने इस गीत की शुरुआत में कहा है :... Read more
प्रसिद्ध समाज सुधारक हरिप्रसाद टम्टा ने सन् 1935 में लिखा कि ‘सन् 1911 में जार्ज पंचम के अल्मोड़ा आगमन पर आयोजित समारोह में उन्हें और अन्य शिल्पकारों को शामिल नहीं होने दिया गया था. मुझे अब... Read more
सरकारी स्कूल के बच्चों और शिक्षा की बात चलती है तो साधारण रूप से मन में शिक्षा में पिछड़े, उद्दंड बच्चों की छवि उभरती है! कई मायनो में ये सही भी है लेकिन कुछ शिक्षक अपनी लगन और इच्छाशक्ति के... Read more