हम होंगे सिनला पार एक दिन – 3 हमारे पास समय था तो नदी पार दारचूला जाने की योजना बनी. वैसे भी पार हमारे लिए एक अजूबा विदेश ही था, जिसके बारे में बचपन से सुनते आए थे कि नेपाल के बाज़ार में मिल... Read more
हम होंगे सिनला पार एक दिन – 2 वैन आगे बढ़ी तो मन में दारमा-व्यास की रहस्यमयी घाटियों की अनदेखी तस्वीरें हिलोरें लेने लगीं. इरादा था कि दोपहर तक हम धारचूला पहुंच जाएंगे और वहां नोटिफाइड... Read more
बागेश्वर से सिनला दर्रे की दुर्गम यात्रा की शुरुआत
वर्ष 2001 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस कोर्स करने के बाद प्रातःकालीन भ्रमण का एक नियम सा बन गया था. तब सुबह के साथी मित्र पंकज पांडे हुआ करते थे. सुबह के वक्त पहाड़ी रास्तों में गप... Read more
कितना कठिन है सुदूर घाटी के कुमाऊनी गाँवों में इन दिनों जीवन – तरदा की आपबीती
बीते दिन पिंडर घाटी के अंतिम गांव खाती के तारा सिंह उर्फ तरदा से मुलाकात हुई. वे अपनी बिटिया को कॉलेज पहुंचाने के लिए बागेश्वर तक आए थे. “क्या हाल हैं गांव के” – पूछने पर मायूस हो वे ग... Read more
पर्यटन प्रदेश में न कुछ बदला था न बदला है
अपनी चार साल पुरानी एक महत्वपूर्ण पोस्ट को आज फेसबुक पर शेयर करते हुए बागेश्वर के हमारे साथी केशव भट्ट ने लिखा है: ” आज तक भी यही हालत हैं, शर्म आती है हमारी सरकारों पर जो दुनिया में ब... Read more
पांच पैसे की रामलीला और वो मशाल दौड़
एक तो बचपन ऊपर से वो भी गांव का. अलमस्त सा. घर वाले गालियों से नवाजते थे, और ‘भूत’ हो चुके चाचाजी, जो भी उनके हाथ लगता रावल पिंडी एक्सप्रैस की स्पीड में दे मारते. और उनका निशाना... Read more
बागेश्वर जिले में शहर से डोबा-धारी-गिरेछिना से सोमेश्वर को एक पतली सी सड़क बनने से अब ज्यादातर लोग इसी मार्ग से आ-जा रहे हैं हालांकि बरसातों में सड़क बंद होने के अंदेशे से इस मार्ग में आने-ज... Read more
एक गाँव से बैसी-जागर का आँखों देखा हाल
आजकल कई गांवों में बैसी-जागर टाईप का कुछ पूजा-नृत्य गांव की धूनियों में हो रहा है. बाहर बसे परदेसी भी गांव में आकर खूब श्रद्वा भाव दिखाने में मग्न हैं. धूनी को चमका रखा है. बाकायदा बैसी-जागर... Read more