महाभारत में बदरीनाथ धाम
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree बदरीनाथ धाम के विषय में महाभारत में अलग-अलग जगह लिखा गया है. यह माना जाता है कि महाराज पांडु बदरीनाथ के समीप पांडुकेश्वर मे... Read more
रानीखेत और अल्मोड़ा की बरसों पुरानी तस्वीरें
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree जेम्स कैनेडी 1839 से 1877 के बीच भारत में रहे. उनकी किताब लाइफ़ एंड वर्क बनारस एंड कुमाऊं दो भागों में है. एक हिस्से में वह... Read more
कालीमठ यात्रा वृतांत
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree पिछले सात दिनों से यहां हूं खुद के साथ. उत्तराखंड के इस स्वर्गिक स्थान के बारे में एक साल पहले ही पता चला – मुन्नी देव... Read more
ईजू की नराई लागी, भाई की काँकुरी
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree लोक-साहित्य स्वयं में बेजोड़ होता है. कुमाऊनी लोकसाहित्य में चार चांद लगाने का काम करता है उसका विशाल शब्दकोश. मसलन किसी को... Read more
उत्तराखंड की सबसे दानवीर महिला की कहानी
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree कुमाऊं के दो पुराने अश्व मार्ग काठगोदाम-अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ और टनकपुर-चम्पावत-पिथौरागढ़ साठ के दशक तक आम लोगों द्वारा खूब प्... Read more
कुणाल तुम आजाद ही हुए : श्रद्धांजलि
वैसे तो कुनकुन (कुणाल तिवारी) से मेरा परिचय बचपन से ही रहा पर याराना माउंटेन राइडर्स साइक्लिंग ग्रुप बनने के बाद और भी पक्का हो गया. अपने स्मृति पटल को उकरते हुए याद आती है बचपन के दिनों की... Read more
आज बूढ़ दीवाली है
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree परम्परागत रूप से कुमाऊं क्षेत्र में दीवाली तीन बार मनाई जाती है. तीनों के नाम क्रमशः कोजागर, महालक्ष्मी और बूढ़ दीवाली. पौर... Read more
डूबता शाम का सूरज पिथौरागढ़ से : फोटो निबंध
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय करीब 2000 बरस पहले बनी एक घाटी में स्थित है. पूरब में सुवाकोट, पश्चिम में ह्यूँपानी, उत्तर में सौड़... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree जब हम असभ्य थे, मूर्ख थे तब हम प्रकृति का सम्मान करते, उसे पूजते और प्रकृति सम्मत जीवन जी रहे थे. अब सभ्य हैं ज्ञानवान हैं... Read more
पहाड़ियों में इन महीने ही क्यों होती है शादी
पहाड़ियों में बरस के बारह महीने शादी नहीं होती. एक वर्ष के बारह महीनों में कुछ ऐसे महीने तय हैं जिनमें विवाह होता है. मसलन मंगसीर, माघ और फागुन के पूरे महीने में शादियां हुआ करती हैं लेकिन स... Read more