डड्वार: गढ़वाल की विलुप्त होती परम्परा
डड्वार, गढ़वाल में दिया जाने वाला एक प्रकार का पारितोषिक है. जिसे पहले तीन लोगों को दिया जाता था: ब्राह्मण, लोहार और औजी. लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म होती जा रही है. इसके बदले अब लोग पैसे... Read more
पुराण के मानसखण्ड में महर्षि व्यास ऋषियों को बताते हैं कि सरयू और श्यामा नदियों के बीच में भव्य स्थाकिल पर्वत के अग्रभाग में एक विशिष्ट शिवस्थल पर स्थलकेदार नाम के महादेव विराजमान हैं. उनके... Read more
कुमाऊं के पंत ब्राह्मणों का पश्चिमी एशिया से संबंध
आठवीं शताब्दी में गुजरात में मुसलमान आक्रमणकारियों द्वारा सत्ता हथिया ली गई थी. यह संभव है कि उस समय कोई जन समुदाय अथवा कोई गुजरात के राज्य परिवार का व्यक्ति मथुरा, कन्नौज से होता हुआ चंपावत... Read more
भोटान्तिक व्यापार के रास्ते, तरीके और माल असबाब
मल्ला दारमा के भोटान्तिकों का व्यापार पथ जो अजपथ और अश्व पथ से विकसित हुआ वह दारमा दर्रे (18510फ़ीट) से हो कर जाता था. वहीं व्यांस और चौंदास पट्टियों के भोटान्तिक लंगप्याँलेख (18150 फ़ीट) और... Read more
अल्मोड़े के पास एक गांव में अल्पबुद्धि और दीर्घबुद्धि नाम के दो दोस्त हुआ करते थे. अल्पबुद्धि, नाई और दीर्घबुद्धि, पंडित थे. दोनों निहायत आलसी और खदवे. दोनों का घर पत्नियों की मेहनत से चलता.... Read more
जिनके बिना भवाली का इतिहास अधूरा है
ब्रिटिश शासन के दौरान ही भवाली के पास नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर लगभग एक किमी की दूरी पर वर्ष 1912 में भवाली सेनेटोरियम की स्थापना किंग जॉर्ज एडवार्ड सप्तम के कार्यकाल में हुई. समुद्रतल से 168... Read more
महिलायें पहाड़ में जीवन की रीढ़ हैं. महिलायें न होती तो पहाड़ दशकों पहले बंजर हो जाते. संघर्ष से भरे उनके जीवन में उनके पास इतना भी समय नहीं की वे अपने बच्चों को अपना समय दे सकें. काम की ऐसी... Read more
बौधाण: पहाड़ियों के जानवरों का लोकदेवता
आंगन में बिना जानवरों के पहाड़ में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. जानवर उनके जीवन में दिन और रात के साथी नहीं परिवार का अभिन्न हिस्सा होते हैं. गाय, बैल, भैंस, बकरी, कुत्ता कुछ ऐसे जानवर है... Read more
विलुप्त होती अपनी लोक भाषाओं को हमें ही बचाना होगा
अभी हाल में अखबारों में प्रकाशित खबर पढ़ने को मिली कि उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश की भाषाओं-गढ़वाली, कुमाउनी तथा जौनसारी के सरंक्षण के लिये विधायकों की एक समिति गठित की है. समाचार... Read more
“जो घाव लगे और जाने गयीं वे प्रतिरोध की राजनीति की कीमत थी”,1996 में इलाहबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवि एस. धवन की खंडपीठ ने अपने फैसले में लिखा. जिस सन्दर्भ में वे इस बात को लिख रहे थ... Read more