1930 के दशक में पिथौरागढ़ जैसे दूरस्थ कस्बे में पहला रेडियो लाए धनीलाल और फिर दिखाया सोर वासियों को सिनेमा. इस पर एक लेख मुझे इतिहास के खोजी प्रवक्ता डॉ दीप चंद्र चौधरी ने सोर घाटी के जाने अ... Read more
पिथौरागढ़ स्थित देवसिंह मैदान के एक कोने में बॉक्सिंग रिंग के आकार का ढांचा बना है. इस रिंग ने भारत को एक से एक बॉक्सर हैं. दशकों पहले तक एक 70-72 साल के शख्श बच्चों को बॉक्सिंग के गुर सिखाते... Read more
कुमाऊनी लोक गीतों में कत्यूरी राज वंशावली
कुमाऊनी लोक गीतों में वह कत्यूरी राज वंशावली जो कार्तिकेय वर्तमान बैजनाथ के निकट रणचूला दुर्ग, लखनपुर (द्वारहाट) तथा छिपला (भोट प्रांत) में शासन करती थी इस प्रकार दी गई है:(Katyuri Kings in... Read more
नए-नए बछड़ों की जोड़ी को शुरू-शुरू में कंधों पर जुवा रखकर खेत में ख़ाली घुमाया जाता है. खुले वन में स्वच्छंद चरने, विचरण करने, कुलांचें भरने वाला बछड़ा समझ नहीं पाता कि उसे ज़बरदस्ती बाँधकर... Read more
कुमाऊंनी लोकसाहित्य में अनेकानेक पक्षियों का उल्लेख है. मोनाल, तीतरी, शुक, कव्वा, गौतेली, कफुआ, हुट-हुटिया आदि. लेकिन घुघुत का उल्लेख कुमाऊंनी लोकसाहित्य में खुल कर हुआ है. एक लोकगीत में घुघ... Read more
भगवत गीता के श्लोकों का कुमाऊंनी अनुवाद
भगवत गीता के श्लोकों का यह अनुवाद चारुचन्द्र पांडे द्वारा किया गया है. काफल ट्री में यह अनुवाद पुरवासी पत्रिका के 14वें अंक से साभार लिया गया है. (Kumaoni Translation of Bhagavad Gita) भौते... Read more
बर्फबारी के मौसम में शिव मंदिर तुंगनाथ की तस्वीरें
विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है तुंगनाथ में. रुद्रप्रयाग जिले में स्थित यह मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. यह मंदिर पंचकेदारों में एक है. पंचकेदारों मे... Read more
आखिरकार इंतजार खत्म हुआ और कुमाऊं और गढ़वाल की पहाड़ियों में बीती रात बर्फबारी हो ही गयी. इस साल अब तक बर्फबारी न होने की वजह से जहां एक ओर पर्यावरणविद चिंतित थे दूसरी ओर पर्यटक भी खासे मायूस... Read more
उत्तराखंड में ऐसे पुल भी होते थे
एटकिन्सन ने अपनी किताब हिमालयन गजेटियर में उत्तराखंड में परिवहन व्यवस्था पर विस्तार से लिखा है. यहां नदियों पर पाये जाने वाले पुलों के संबंध में एटकिन्सन ने दूसरे कमिश्नर ट्रेल के हवाले से ल... Read more
कुमाऊंनी लोक साहित्य में नारी का विरह
सामान्य जनों या आशुकवियों द्वारा मौखिक परम्परा के रुप में अभिव्यक्त साहित्य लोक साहित्य कहलाया. परिवेश के अनुसार उसकी अभिव्यक्ति विरह और मिलन दोनों रुपों में हुई है. नारी यों तो सृष्टि की वह... Read more