आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था
21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द सरकार का गठन किया था. इस सरकार की स्थापना सिंगापुर में की गयी थी. 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देश को अंग्रेजों की गुलामी से... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 20
आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान देने वालों और बाद में क्षेत्र का नेतृत्व करने वालों के सम्बंध में कुछ खरी-खरी कहना उनके सम्मान में कमी लाना नहीं है. बल्कि यह बताना है कि राजनीति में यह सब... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग – 2
पिछली कड़ी विवाहोपरान्त पुत्री की विदाई सर्वत्र करूण होती है. वह मां की दुलारी है, जिसने उसे पालपोस कर बड़ा किया, उपयुक्त गृहिणी के सभी गुण लाने का प्रयास किया है. किन्तु आज वह वृ़द्धा भी अपने... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग 1
लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए एवं परंपरा से देश काल की विविध परिस्थितियों का चित्रण करते हुए उनके बीच प्रच... Read more
मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 2
पिछली कड़ी कूटनीतिज्ञ पूरिया नैथानी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा 1680 में मुग़ल दरबार में रही. मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने अपनी धार्मिक नीति के अंतर्गत 1665 ई. में हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया था.... Read more
मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 1
मध्यकालीन गढ़वाल की राजनीति जिसे गढ़ नरेशों के युग से भी जाना जाता है, में कुछ असाधारण व्यक्तियों ने अपनी विलक्षण प्रतिमा से इतिहास में स्थान बनाया है. इनमें पूरिया नैथाणी का नाम विशेष रूप से... Read more
रामलीला पर्वतीय जनजीवन की ‘लाइफ-लाइन’
रामलीला भारतीय जनमानस की एक ऐसी तस्वीर है, जिसमें कोई भी भारतीय अछूता नहीं है. राम ऐसे जननायक थे कि उन्होंने निर्विवाद रूप से भारतीय संस्कृति के मूल्यों, मर्यादाओं को मानकर अपना जीवन एक आदर्... Read more
पिछला भाग जागृत महिला समाज के इन प्रयत्नों के फलस्वरूप ही कुछ समय के लिए पौड़ी व नन्दप्रयाग में महिलाओं के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन ने शराब की दुकानें बंद कर दी थी. दूसरी ओर स्वयं जागृत मह... Read more
रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 2
पिछली कड़ी तो एक बार भवाली की टीम को ‘राम वनवास’ वाला प्रसंग मिला प्रस्तुति के लिये. राम-लक्ष्मण का वनवासी वेष धारण करने का दृश्य जिस प्रभावकारी और सादगी के साथ उन्होंने मंच पर प्रस्तुत किया... Read more
शुक्र है कबीर
शुक्र है कबीर!! तुम सल्तनत युग में पैदा हुए. आज होते तो कोई नामी कटटरवादी संगठन तुम्हारी जान का प्यासा होता. यह भी हो सकता था कि तुम्हें जान से मार दिया जाता. अल्हा के फजल से तुम उस युग में... Read more