लोकपर्व सातों-आठों पर कही जाने वाली कथा
कुमाऊं में सातों-आठों की खूब धूम रहती है. कुमाऊं क्षेत्र में एक बड़े समाज द्वारा सातों-आठों का पर्व मुख्य पर्व के रूप में मनाया जाता है. अलग-अलग क्षेत्र के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार... Read more
सातों-आठों में आज घर आयेंगी गौरा दीदी
पहाड़ में आज उत्सव का माहौल है. सुबह से ही घर की साफ-सफाई लिपा-पोती का जोर है क्योंकि आज गौरा दीदी अपने मायके आने वाली हैं. लोक की सबसे बड़ी विशेषता ही यह है कि यहां के आराध्य भी मानवीय रितो... Read more
सातों-आठों में गाये जाने वाले गीत और परम्पराएं
भादों शुक्ल पक्ष पंचमी को बिरुड़ पंचमी मनती है.घरों में लिपाई पुताई की जाती है. ताँबे के बर्तन में गोबर गणेश बनता है. उस पर गाय का दूध डाल अक्षत पिठ्या फूल चढ़ाते हैं. पञ्च अनाजों के बिरुड़... Read more
घ्यूं त्यार क्यों मनाया जाता है
अपनी विशिष्ट लोक परम्पराओं से उत्तराखंड के लोग अपने समाज को अलग खुशबू देते हैं. शायद ही ऐसा कोई महिना हो जब यहां के समाज का अपना कोई विशिष्ट त्यौहार न हो. ऐसा ही लोकपर्व आज घी त्यार या घ्यूं... Read more
अब तो पहाड़ में घर ही कम बचे हैं. बचे हुये घरों में भी बुजुर्ग दम्पति अधिक हैं या फिर ऐसे लोग जिनको आधुनिक समाज में पिछड़े और मजबूर कहा जाता है. कमजोर और मजबूर कहे जाने वाले इन कन्धों ने ही... Read more
सातों-आठों के लिये आज भिगाते हैं बिरुड़े
कुमाऊं का समाज एक कृषि प्रधान समाज रहा है. एक समय कृषि ही कुमाऊं के लोगों का प्रमुख व्यवसाय था. कुमाऊं की परम्पराओं से भी यह स्पष्ट होता है कि यहां का समाज मूलरूप कृषि पर पूरी तरह निर्भर रहत... Read more
ऐसे होती है पारम्परिक कुमाऊनी शादी
सादगी भरा जीवन जीने वाले पहाड़ी बाहर से जितने भोले दिखते हैं भीतर से उतने ही रंगीले भी हैं. तो यही वजह है कि उत्तराखण्ड के किसी न किसी कोने में हर रोज कोई न कोई उत्सव या मेला चल ही रहा होता... Read more
रोपाई से जुड़ी परम्पराओं पर एक महत्वपूर्ण लेख
आज भले ही हमारे खेत बंजर हो रहे हैं. हम गुणी-बानरों की बात कहकर खेती छोड़ रहे हों पर एक समय वह भी था जब खेती के लिए लोग नौकरी छोड़कर घर आ जाते थे. मैंने कई लोग देखे हैं कि तीन भाई हों तीनों... Read more
सावन की शुरुआत में हरेले का गीत
पिछले कुछ सालों से उत्तराखण्ड के युवाओं द्वारा लोक संगीत को नए कलेवर में पेश करने का चलन देखने में आया है. इन कोशिशों में गाने को भौंडा बनाने के बजाय उनकी पहाड़ी आत्मा को बचाये-बनाये रखने के... Read more
हमारे पहाड़ों में कठपुड़िया नाम काफी प्रचलित है. वैसे तो कठपुड़िया नाम की जगहें भी हैं पर यहां पर बात जंगल में बनाई गई उन जगहों की हो रही है जहां पर लकड़ियां फेंकी जाती थी.(Kathpudiya Uttara... Read more