सुल्ताना डाकू का किला और खूनीबड़ गाँव की कहानी
बीसवीं सदी के पूर्वाद्ध में नजीबाबाद-कोटद्वार क्षेत्र में सुल्ताना डाकू का खौफ था. कोटद्वार से लेकर बिजनौर यूपी और कुमाऊं तक उसका राज चलता था. बताया जाता है कि सुल्ताना डाकू लूटने से पहले अप... Read more
यूं तो कुमाऊँ में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रवेश 8 मई 1815 को कुमाऊँ के कमिश्नर आफ रेवन्यू के रूप में ई.गार्डिनर की नियुक्ति के साथ हो गया था लेकिन कंपनी ने कुमाऊँ-गढ़वाल के नियंत्रण का मुख्याल... Read more
बागेश्वर के बागनाथ मंदिर पर एक महत्वपूर्ण लेख
उत्तराखण्ड के प्रयाग तथा काशी के नाम से विख्यात सरयू नदी के संगम पर अवस्थित बाघनाथ मन्दिर पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है. इस स्थल को मार्कण्डेय मुनि की तपस्थली अथवा तपोभूमि माना जा... Read more
सन् 1900 ई0 में मसूरी की आबादी साढ़े चौदह हजार से भी अधिक हो गई थी जिसमें से चार हजार से अधिक यूरोपियन थे. इस बढ़ती आबादी के लिये पूर्व में सप्लाई किये जाने वाला पानी पर्याप्त नही था. अक्टूब... Read more
गुलाम भारत में ये दौर था वर्ष 1930 के अगस्त माह के दूसरे सप्ताह का. जब चंद्रशेखर “आजाद”, हजारीलाल, रामचंद्र, छैलबिहारी लाल, विश्वम्भरदयाल और दुगड्डा निवासी उनके साथी क्रांतिकारी... Read more
देहरादून के घंटाघर का रोचक इतिहास
ऐसी तस्वीर जिसको देखते ही हर देखने वाले की जुबान पर इस जिले का नाम आ जाये तो वह तस्वीर यहां के घंटाघर की हो सकती है. देहरादून का घंटाघर इस शहर की पहचान है. जहां आज घंटाघर है वहां पहले पानी क... Read more
अल्मोड़ा आने के बाद यहीं के होकर रहे विख्यात वैज्ञानिक बोसी सेन और उनकी अमेरिकी पत्नी गर्ट्रूड एमर्सन
भारत ने हरित क्रान्ति के अग्रदूतों में गिने जाने वाले बसीश्वर सेन साल 1920 में अल्मोड़ा आकर बस गए थे. बोसी सेन के उपनाम से जाने जाने वाले इस वैज्ञानिक-कृषिशास्त्री ने जवाहरलाल नेहरू के कहने... Read more
कुमाऊँ में रुहेला आक्रमणकारियों ने लगभग सभी मन्दिरों को लूटा और उनमें रखी हुई मूर्तियों को तोड़ा. जागेश्वर ही अपनी स्थिति के कारण एक ऐसा प्राचीन स्थल है जहाँ वे नहीं पहुँच पाये. जागेश्वर कुम... Read more
अपने खून से महात्मा गांधी को ख़त लिखकर डांडी मार्च में शामिल होने वाले उत्तराखंडी खड्ग बहादुर
डांडी-सत्याग्रह के दिन. देहरादून से गाँधी जी को एक खत मिला. पत्र मामूली स्याही से नहीं, भेजने वाले ने अपने खून से लिखा था. अहिंसा में विश्वास न होने पर भी वह रण बाँकुरा सत्याग्रह में सक्रिय... Read more
रणनीति के अनुसार, हमारा बिग्रेड उत्तरी पहाड़ियों पर हमला करके, जहाँ इटली की सेना थी, पीछे से जाकर मौनेस्ट्री हिल की तोपों को शान्त करेगा और जर्मन सेना को रोम दिशा की मुख्य सेना से मिलाप न कर... Read more