तराई और उसके रहवासियों का इतिहास
कहा जाता है कि प्राचीन महाकाव्य काल में उत्तराखंड का तराई -भाभर इलाका ऋषि मुनियों की तपोस्थली थी. सीतावनी में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम बताया गया. मान्यता है कि सीता माता ने यहीं अपना वनवास ब... Read more
पिथौरागढ़ में नाचनी कस्बे के नाम की कहानी
नाचनी एक छोटा सा क़स्बा है जो पिथौरागढ़ ज़िले के तल्ला जोहार में अवस्तिथ है. इसकी भौगोलिक संरचना एक V आकार की घाटी है जिसका निर्माण युवावस्था में नदियों द्वारा अपरदन से होता है. Etymology of... Read more
समय विनोद : उत्तराखंड क्षेत्र से हिंदी में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र
उत्तराखंड में हिंदी उर्दू पत्रकारिता सन 1868 में ‘समय विनोद’ से प्रारंभ हुई. पूरे हिमालयी क्षेत्र से देशी भाषा में छपने वाला यह पहला पत्र था. इसके छः सात वर्षों बाद ‘अल्मोड़... Read more
चित्रकार, इतिहासकार, कूटनीतिज्ञ, कवि मौलाराम उत्तराखंड के सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में गिने जाते हैं. गढ़वाल वंश के शासकों के दरबार में रहने वाले मौलाराम के पास एक समय चौदह गावों की रियास... Read more
साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज फूट डालो राज करो कि अपनी नीति के अनुसार ब्रिटिश सरकार सांप्रदायिक विचारों को पालने-पोसने का काम करती रही. फलस्वरूप हिंदू- मुस्लिम दंगे भी हुए. इस समस्या के हल... Read more
मध्य हिमालय की जंगलों में मिलने वाली वनस्पति स्वस्थ बनाये रखने, निरोग रहने व दीर्घायु प्रदान करने के लिए गुणकारी मानी गईं. इन वनस्पतियों के एकल प्रयोग या कइयों के साथ मेल... Read more
बचपन में गौरेया हमारे जीवन में रची-बसी थी
देहरादून में घर के पीछे दीवार पर जो लकड़ी के घोसले मैंने टाँगे थे उनमें गौरेयों ने रहना स्वीकार कर लिया है. लकड़ी के ये घोसले मैं देहरादून की जेल से लाया था, जो वहाँ पर कैदियों द्वारा तैयार... Read more
मध्यकालीन गढ़वाल की राजनीति जिसे गढ़ नरेशों के युग से भी जाना जाता है, में कुछ असाधारण व्यक्तियों ने अपनी विलक्षण प्रतिमा से इतिहास में स्थान बनाया है. इनमें पुरिया नैथाणी का नाम विशेष रूप स... Read more
तमाम जुड़ावों के बीच पद्मा दत्त पांडे के साथ बाबा हैड़ाखान को लेकर मेरा मतैक्य नहीं हो सका. वे 1970 में बाबा हैड़ाखान के भक्त बन गए और कुछ ऐसी अविश्वसनीय बातों की चर्चा उनके बारे में करने लग... Read more
सन् 1988 में पीपुल्स कालेज के साथ ‘जेम पार्क’ यानी रत्न उद्यान की अखाड़ेबाजी कुछ समय तक चर्चा का विषय बनी रही. कहा गया कि सौभाग्य, श्रृंगार और वैभव का प्रतीक अब न केवल हल्द्वानी नगर, कुमाऊॅं... Read more