वहां प्रेग्नेंट औरतें बत्तख और प्रसव कर चुकी औरतें घायल सिपाही जैसे चलती थीं
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 52 (Column by Gayatree Arya 52)पिछली किस्त का लिंक: जब नई-नवेली मां को मदद की ज्यादा जरूरत होती है, तब वह बिल्कुल अकेली होती है ओ.टी. से निकलने के पांच दिन तक... Read more
दूनागिरी पर्वत उपत्यका में बसी द्वाराहाट की नयनाभिराम कौतुक भरी पर्वत घाटी धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध होने के साथ ही सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से भी विशिष्ट बनी रही है. महाभारत... Read more
प्रेमपरकास की बछिया
प्रेमपरकास अग्गरवाल का खानदान पिछली तीन पीढ़ियों से उस पहाड़ी कसबे में तिजारत कर रहा था. तनिक मुटल्ले प्रेमपरकास से मेरी स्कूल के समय से ही दोस्ती थी. उसके एक हाथ में छः उंगलियाँ थीं और उसका... Read more
1815 में गोरखों को पराजित कर अंग्रेजी शासन की नींव उत्तराखण्ड में रख दी गई. गोरखा-ब्रिटिश युद्ध 1814 से 1816 के मध्य चला तथा इस युद्ध के समय भारत के गवर्नर जनरल फ्रैंसिस रॉडन हेस्टिंग्स था ज... Read more
डेढ़ जूता और ठाणी की धार
तवाघाट से मांगती के बीच सड़क टूटी थी तो हमें तवाघाट से ठाणी धार चढ़कर चौदास होते हुए आगे बढ़ना था. ठाणी की चढ़ाई किसी भी मुसाफिर के सब्र और हिम्मत का पूरा इम्तिहान लेती है. इस धार में कुछ कि... Read more
तराई और उसके रहवासियों का इतिहास
कहा जाता है कि प्राचीन महाकाव्य काल में उत्तराखंड का तराई -भाभर इलाका ऋषि मुनियों की तपोस्थली थी. सीतावनी में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम बताया गया. मान्यता है कि सीता माता ने यहीं अपना वनवास ब... Read more
सदेई : भाई-बहिन के निश्छल प्रेम की अमर गाथा
गढ़वाल में चैत के महीने गायी जाने वाली चैती गाथाओं में सदेई का विशिष्ट स्थान है. सदेई की गाथा में दाम्पत्य-प्रेम या परकीया प्रेम का कोई प्रसंग नहीं है. ये गाथा पूरी तरह सहोदर भाई-बहिन के पवि... Read more
बंजारा मासाब की शादी का किस्सा
प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार व लेखक नवीन वर्मा ‘बंजारा’ का अचानक चले जाना सभी के लिए एक बहुत गहरा आघात है. उनकी कला में सामाजिक संरचनाओं की अभिव्यक्ति आभास कराती थी कि वह कितनी बारीकी से समा... Read more
हमारे बचपन में अभावों का भी बढ़ा भाव था
नोस्टालजिया का झरोखा तो सुकून देता ही है जनाब! चाहे वह कितना ही अभावों भरा क्यों न हो. लेकिन सच कहें तो हमारे बचपन में अभावों का भी बढ़ा भाव था. विलासिता की चीजों से दूर हम अपनी खुशियां कुदर... Read more
द्रोणागिरि के लोग आज भी क्यों भगवान हनुमान से नाराज हैं : तीस साल पुरानी रिपोर्ट
प्रकाश पुरोहित जयदीप द्वारा लिखा गया ये आलेख बहुत लोकप्रिय है. नब्बे के दशक में लिखे गये इस आलेख के बाद द्रोणागिरि बहुचर्चित हो गया था. दर्जनों वेबसाइट्स, पोर्टल्स और पत्रिकाओं में इस आलेख क... Read more