आज का अल्मोड़ा देख सुमित्रानंदन पन्त नहीं लिख पाते : यह है अल्मोड़े का बसंत
लो चित्र शलभ सी पंख खोल, उड़ने को है कुसमित धाती.यह है अल्मोड़े का बसंत, खिल उठी निखिल पर्वत घाटी. ये पंक्तियाँ हिन्दी के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त ने शहर अल्मोड़ा के सौन्दर्य को लेकर... Read more
इटली के रोम में पहाड़ की लड़की
रोम पहुंचते ही सबसे पहली बात ये पता लगी कि यहाँ के लोगों के लिए ये ‘रोमा’ है. एयरपोर्ट से लेकर बस तक, दीवारों मे, इश्तिहारों में सब जगह ‘रोमा’ लिखा है वो भी बड़ा-बड़ा. इसलिए रोमा में आपका स्... Read more
घट के पाट और चोखी बसंतमूली की सब्जी
ह्यून में अच्छा झड़ पड़े और बसंत में डाल न बरसे तो हमारे गाँव में इतना गेहूं तो हो जाता कि छ: साथ महीने तक गुजारा चल जाय. जिस साल चौमास सही बरसा और ह्यून सूखा न जाए तो फागुन चैत तक गाड़ किना... Read more
इस सदी का सबसे सुंदर चांद अल्मोड़े से
दुनिया में जितनी दफ़े सौन्दर्य पर लिखा गया होगा उतने बार चांद को दोहराया गया होगा. आज भी दुनिया भर में चांद पर जीतने गीत गुनगुनाये जाते हैं शायद उतने किसी और चीज पर. चांद का दूसरा मतलब ही सुन... Read more
अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंस गया है तू : दंतकथा
जीवन का दर्शन, जीवन का महात्म्य, जीवन के साथ ही समझ आता है. समय सबसे बड़ा शिक्षक है. आयु कहीं-न-कहीं आपको कम आयु वाले से वरिष्ठ बनाती ही है. हम सब उन यात्रियों की तरह हैं जो, किसी स्टेशन से... Read more
मौत और मोहब्बत की संगत में एक विकट सफ़र
फ़रवरी के आख़िरी दिन थे. मौसम को उदास और झाड़ रूख को झंखाड कर देने वाली हवा चलने लगी थी जिसे हमारे यहाँ लोकभाषा में फगुनहटा कहते हैं. बोकारो के सर्किट हाउस से हम थके उदास और टूटे अपनी अपनी स... Read more
पिछले महीने ही तो लगन हुआ है सुखिया का. दुल्हनियाँ का नाम है-बसन्ती. गोल-मटोल, बड़ी-बड़ी आँखों और पतले होंठों वाली बसन्ती यूँ तो ज़रा बेढब सी है पर चाल में शहरी नज़ाकत नहीं ख़ालिस देहा... Read more
सेम मुखेम, गंगू रमौल और सिदुआ-बिदुआ की कथा
उत्तरकाशी का टकनौर परगना जो जान्हवीं औरभागीरथी नदियों का जलागम प्रदेश रहा. वारागड़ी पट्टी इलाके तक फैला. साथ ही जिसमें कठूड़ पट्टी भी शामिल थी और प्रताप नगर भी. पहाड़ के इस अधिपति की बा... Read more
दारमा घाटी के गो गाँव में खलनायक
आठ दिन हो गए बारिश को. बीच में आधे दिन के लिए रुकी थी पर तीन दिन से तो एक मिनट के लिए भी आसमान ने आराम नहीं किया. सुबह तिदांग से मारछा को निकल तो गए लेकिन लसर यांगती पर बने पुल को देखकर हवा... Read more
आज आठ अप्रैल है. लॉक डाउन के प्लान के हिसाब से आज के बाद नए पॉज़िटिव केसेज़ आने की संख्या में गिरावट दर्ज की जानी चाहिए. मगर अब ऐसा होता लगता नहीं. पिछले दिनों कुछ लोगों की लापरवाही ख़तरनाक... Read more