चलते चलते अचानक मेरे पैर जहाँ के तहाँ ठहर गये. अग़ल-बग़ल उठ आये मकानों के बीच इस मकान को खोजना मुश्किल हो रहा था लेकिन पहचान तो पुरानी थी. यही तो था वो घर जिसकी दीवारों, खिड़कियों और आँगन से... Read more
रामनगर में पंपापुरी में स्थित एक सामान्य से घर की पहली मंजिल पर स्थित एक कमरे में जब आप जाते हैं तो दुबले शरीर का एक बूढ़ा आदमी किताबों से घिरा मिलता है. मोटे लैंस वाला चश्मा पहने, लगातार कि... Read more
कल हमने आपको कुमाऊँ और पश्चिमी नेपाल की लोककथाओं पर आधारित ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ से एक कहानी पढ़वाई थी – बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष... Read more
नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में एक गाँव पड़ता है नाम है नाई. नाई गांव में अभी कुछ साल पहले ही सड़क पहुंची है. नैनीताल जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में आने वाली इस पट्टी के गांवों का आलू... Read more
खुद पर यकीन करोगे, तो कामयाबी कदम चूमेगी
सोचने से सब हो सकता है. कुछ भी. अगर हम पूरे विश्वास और भक्ति के साथ सड़क पर पड़े किसी लावारिस पत्थर की पूजा करें, तो उसमें भी ईश्वर उतरकर आ सकता है. सब कुछ हमारे सोचने और यकीन करने पर निर्भर... Read more
बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष्ट राक्षसी की कथा
ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ में कुमाऊँ और पश्चिमी नेपाल की लोककथाओं का विशाल संग्रह पढ़ने को मिलता है. Kumaoni Folklore by Oakley and Gairola इस प... Read more
क्या हम इतने बुरे थे
कल कमाल हो गया. हम लिखते और देखते ही रह गए और हमारा मित्र अमर हो गया. कल आलोचक जी ने उसको भर-भर के गालियां दीं. ऐसी गालियां जिनकी साहित्यकार केवल तमन्ना ही कर सकते हैं. न जाने कितने लेखक-कवि... Read more
दारमा घाटी: स्वर्गारोहण के दौरान जहां पांडवों ने पांच चूल्हे लगाकर अंतिम भोजन बनाया
दारमा घाटी की ख़ूबसूरती की व्याख्या शब्दों में कर पाना बहुत कठिन है. इन तस्वीरों को देखकर आप महसूस कर सकते है कि वहाँ पहुँच कर प्रकृति के इन रंगों को अनुभव करने से मन को कितना सुकून मिलता हो... Read more
डरे हुये बच्चों की दवा होता था आमा के हाथ का बिंदा
आमा के हाथ का जादू सिर्फ खाने के जायके तक सीमित नहीं था. उसके हाथों ने गॉंव के उन तमाम लोगों के रोग और व्याधियों को भी दूर किया था जो डॉक्टरों के इंजेक्शनों और दवाईयों के बिलों के बोझ तले दब... Read more
हल्द्वानी वाले बुआ-फूफा जी और उनके स्मार्ट फोन
उनकी गृहस्थी सुन्दर थी. फूफा बुआ को स्कूटर पर घुमाते थे. हर इतवार या छुट्टी के दिन वे दोनों किसी न किसी रिश्तेदार के यहाँ हो आते थे. दो से तीन होने पर भी आने जाने का यह सिलसिला बना रहा. फूफा... Read more