कथाकार पंकज बिष्ट को इस वर्ष के राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान (Rajkamal Chaudhari Memorial Award 2019) के लिए चुना गया है. कथा-उपन्यास के क्षेत्र में बिष्ट जी ने नए प्रयोग किए. साहित्य को उनका... Read more
तब देख बहारें होली की
अठारहवीं शताब्दी के आगरा के शायर नजीर अकबराबादी (Nazeer Akbarabadi 1740-1830) ने अपने आसपास के साधारण जीवन पर तमाम कविताएँ लिखीं. होली पर उनकी यह रचना बहुत विख्यात है. जब फागुन रंग झमकते हों... Read more
धूमिल की कविता ‘रोटी और संसद’
रोटी और संसद – सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ एक आदमी रोटी बेलता है एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है मैं पूछता... Read more
ललित मोहन रयाल की नई किताब
कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ [ललित मोहन रयाल (Lalit Mohan Rayal) कृत ‘अथश्री प्रयाग कथा’ के बहाने प्रयाग के ‘बहबूद के सामाँ’* की पड़ताल] -अमित श्रीवास्तव तुलसीदास जी कहते हैं हाथी के बराबर बड़े पापो... Read more
लीलाधर जगूड़ी को वर्ष-2018 का व्यास सम्मान
प्रसिद्ध कवि लीलाधर जगूड़ी जी को उनकी काव्य रचना ‘जितने लोग उतना प्रेम’ के लिए अखिल भारतीय बिड़ला फाउंडेशन का इस वर्ष का व्यास सम्मान दिया गया है. जगूड़ी जी की कविता, एक बने बनाए शिल्प और आजमा... Read more
भोंदू जी की सर्दियाँ
भोंदू जी की सर्दियाँ – वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) आ गई हरी सब्जियों की बहार पराठे मूली के, मिर्च, नीबू का अचार मुलायम आवाज में गाने लगे मुंह-अंधेरे कउए सुबह का राग शीतल कठोर धूल और ओ... Read more
नैनीताल के अजाने इतिहास से निकली एक और अनोखी कहानी
नैनीताल के फांसी गधेरे से जुड़ी अनेक किंवदंतियों-कहावतों-किस्सों के पसमंजर में गूंथकर रचा गया है इस अद्भुत कथा को. इतिहास, समाजशास्त्र और फंतासी के बीच तैरती-उतराती यह कथा एक से अधिक बार पढ़े... Read more
काफल ट्री के नियमित सहयोगी चंद्रशेखर तिवारी ने ‘उत्तराखण्ड होली के लोक रंग’ नाम से एक महत्वपूर्ण पुस्तक का सम्पादन किया है. समय साक्ष्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का प्रार... Read more
बम का व्यास
इजराइल के कवि येहूदा आमीखाई (Yehuda Amichai 1900-2000) बीसवीं शताब्दी के सबसे चर्चित लेखकों में रहे. युद्ध की विभीषिका और ठोस ऐन्द्रिक प्रेम उनकी कविताओं के मुख्य विषय थे. अपने देश में उनकी... Read more
धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) के बारे में मशहूर कवि/सम्पादक/आलोचक विष्णु खरे ने लिखा था: “लेकिन इससे बड़ी ग़लती कोई नहीं हो सकती कि हम वीरेन डंगवाल को सिर्फ कवियों, कलाकारों और मित्रों का... Read more