अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – तीसरी क़िस्त कठोपनिषद की तीसरी वल्ली (अध्याय) का पहला मंत्र है: ऊर्ध्व्मूलोSवक्शाख एशोSश्वत्थः सनातनः ! तदेव शुक्रं तद् ब्रह्म तदेवामृतमुच्यते ! तस्मिंल्लोकाःश्... Read more
मेरी नानी हिमालय पर मूंग दल रही है
रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ (3 दिसम्बर 1957 – 8 दिसंबर 2015) हिंदी के लोकप्रिय जनकवि हैं. वे स्नातकोत्तर छात्र के रूप में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से जुड़े. यह जुड़ाव आजीवन... Read more
गाबो और उनकी शकीरा
आज से करीब सोलह साल पहले अंग्रेज़ी अख़बार ‘द गार्जियन’ ने शनिवार 8 जून 2002 को नोबेल विजेता गाब्रिएल गार्सीया मारकेज़ का यह आलेख प्रकाशित किया था. शकीरा के संगीत ने तमाम लातीन अमरीक... Read more
झरिया में है नोकिया का टावर
झरिया में है नोकिया का टावर -शेफाली फ्रॉस्ट तुम आयी हो लपटती ज़मीन की गुफाओं से निकल, तुम आयी हो दो दिन तीन रात के सफर के बाद, तुम उतर के इधर देखती हो फिर उधर बिछा देती हो नए शहर की नालियों... Read more
हम मारे जाएंगे अगर नहीं रचेंगे देवताओं को, हम मारे जाएंगे अगर हम उनकी हत्या नहीं करेंगे
अदूनिस – विडंबनाओं और पराकाष्ठाओं के कवि सीरिया में १९३० में जन्मे सीरियाई – लेबनानी मूल के कवि, साहित्यालोचक, अनुवादक, और सम्पादक अदूनिस (मूल नाम अली अहमद सईद) अरबी साहित्य और कविता क... Read more
पिछली सदी के महानतम कवियों में शुमार महमूद दरवेश ने, अपनी मृत्यु से एक साल पहले दिये गए एक साक्षात्कार में किसी पत्रकार के एक सवाल के जवाब में कहा था: “जब उम्मीद न भी हो, हमारा फ़र्ज़ बन... Read more
विष्णु खरे: बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया
विष्णु जी नहीं रहे. हिंदी साहित्य संसार ने एक ऐसा बौद्धिक खो दिया, जिसने ‘बिगाड़ के डर से ईमान’ की बात कहने से कभी भी परहेज़ नहीं किया. झूठ के घटाटोप से घिरी हमारी दुनिया में ऐसे लोग बहुत कम... Read more
लेट्स गो डच – अंग्रेज़ी भाषा का एक पहलू ये भी
कॉक्नी लन्दन के कामगारों की विचित्र लेकिन कल्ट बन चुकी भाषा है. इतिहास की दृष्टि से आमतौर पर मज़दूरों के साथ जोड़ कर देखा जाने वाला अंग्रेज़ी का यह संस्करण कहीं न कहीं पिछले सौ-पचासेक सालों... Read more
नहीं रहे विष्णु खरे
[हिन्दी के वरिष्ठ कवि और प्रतिष्ठित सम्पादक-अनुवादक विष्णु खरे का आज निधन हो गया. अनेक भाषाओं के ज्ञाता और संगीत-सिनेमा के विशेषज्ञ विष्णु जी अपनी तरह के इकलौते साहित्यकार थे जिनकी सोच और र... Read more
मेरा दिल खोजता है उसे और वह नहीं है मेरे पास
बीसवीं सदी के सबसे बड़े कवियों में शुमार किये जाने वाले पाब्लो नेरूदा का पहला काव्य संग्रह था ‘वेइन्ते पोएमास दे आमोर ई ऊना कान्सीयोन देसएस्पेरादा’ (बीस प्रेम कविताएं और हताशा का... Read more