हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगाहो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

4 weeks ago
Kafal Tree

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को चटक बना, होठों पे मुस्कान…

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

4 weeks ago

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की बहुत महत्त्वपूर्ण प्रजाति पाई जाती…

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

1 month ago

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों के हक हकूकों को बनाए…

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवताकलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

1 month ago

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के स्ट्रोक, गाढ़े हरे पीले बसंती…

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वारखाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

1 month ago

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता था. भारत में उस दौरान…

अनास्था : एक कहानी ऐसी भीअनास्था : एक कहानी ऐसी भी

अनास्था : एक कहानी ऐसी भी

1 month ago

भावनाएं हैं पर सामर्थ्य नहीं. भादों का मौसम आसमान आधा बादलों से घिरा है बादलों के बीच से फूटती चटक…

जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पाजंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा

जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा

1 month ago

मुझे याद है जब मैं सातवीं कक्षा में थी. तब मेरी क्लास में एक लड़की पढ़ती थी. जिसका नाम "शायद"…

मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हममुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम

मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम

1 month ago

पिछली कड़ी : बहुत कठिन है डगर पनघट की ब्रह्मपुरी की बात चली थी उन दिनों उत्तराखंड के भूगोल पर…

 लोक देवता लोहाखाम लोक देवता लोहाखाम

लोक देवता लोहाखाम

1 month ago

आइए, मेरे गांव के लोक देवता लोहाखाम के पर्व में चलते हैं. यह पूजा-पर्व ग्यारह-बारह साल में मनाया जाता है.…

बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टिबसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि

बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि

2 months ago

अमित श्रीवास्तव के हाल ही में आए उपन्यास 'तीन' को पढ़ते हुए आप अतीत का स्मरण ही नहीं करते वरन्…