उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल का प्रमुख पहाड़ी जिला है अल्मोड़ा. यह ऐतिहासिक शहर कभी कुमाऊं डिवीजन का मुख्यालय हुआ करता था. कहा जाता है कि इसका नाम अल्मोड़ा घास (रुमेक्स हेस्टाटा) के नाम पर पड़ा है क्योंकि यह घास यहाँ बहुतायत से हुआ करती थी. चंद राजाओं के दस्तावेजों में अल्मोड़ा को राजापुर कहा गया है. समुद्र तल से 5200 से 5500 फीट की ऊंचाई पर बसे अल्मोड़ा की जेल 5439 फीट और ब्रिटिशकालीन चर्च 5495 फीट की ऊंचाई पर है. (Almora in The Pages of History)
स्टेशन ऊंची पहाड़ी धार सिमतोला और कलमटिया और पश्चिम में पहाड़ी माउन्ट ब्राउन या हीराढुंगा से जुड़ा है. इस पहाड़ी पर अभ्रक की चट्टान हीरे की तरह चमकती थी इस वजह से इसका नाम हीराढुंगा पड़ा. इसके पीछे एक पहाड़ी धार हीराढुंगा से पश्चिम में कोसी नदी तक जाते हुए उत्तर में कस्बे के ठीक सामने आ जाती है. यहां एक छोटी नदी भी है जो हीराढुंगा से एक धारा का रूप ले लेती है. स्थानीय लोग इसे रानी धारा कहते हैं. ब्रिटिश राज में अंग्रेज इसे ‘सेंट रोमंस वैल’ कहा करते थे.
पूर्व व दक्षिण में सुवाल नदी और पश्चिम में कोसी से घिरा होने की वजह से अल्मोड़ा एक द्वीप के आकार का कस्बा बन जाता है. यह आसपास की अन्य पहाड़ियों से कलमटिया धार से जुड़ा हुआ है.
अल्मोड़ा का खुबसूरत ब्रिटिशकालीन गौथिक चर्च कैप्टेन वैलर की देखरेख में बनवाया गया था. चर्च के आसपास ही अंग्रेजों के आवास हुआ करते थे.
अल्मोड़ा में ऐतिहासिक फोर्ट माइरा यानि लाल मंडी और परेड ग्राउंड भी है. जहां अल्मोड़ा मिशन स्कूल है वह स्थान कभी कुमाऊं के राजा का निवास हुआ करता था.
अल्मोड़ा के चारों ओर मीलों दूर तक नंगी पहाड़ियां दिखाई देती हैं. जनश्रुति है कि कभी यहां खूब देवदार के पेड़ हुआ करते थे. चंद राजाओं का यहां राजधानी बनाना भी इस बात कि पुष्टि करता है.
“हीराडुंगरी रम्य प्रदेसा” – अल्मोड़ा के इतिहास का एक दिलचस्प पन्ना
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थोकदार: मध्यकालीन उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण पद
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