गूगल ने आज का डूडल जर्मन कलाकार ऑस्कर श्लेमर को समर्पित किया है. ऑस्कर श्लेमर एक चित्रकार, मूर्तिकार, कोरियोग्राफर, और डिजाइनर थे. उनका जन्म 4 सितम्बर 1888 में स्टटगार्ट, जर्मनी में हुआ था. उन्होंने स्टटगार्ट में ही लैंडस्केप पेंटर्स क्रिश्चियन लैंडेनबर्गर और फ्रेडरिक वॉन केल्ले से कला का अध्ययन किया. इस प्रकार उन्होंने युवावस्था में ही डिजाइन और ललित कला दोनों का अध्ययन किया था.
1913-14 में उनके द्वारा खुद का एक सलून खोला गया. इस काम में उनकी सहायता उनके दो साथी हरमन स्टेनर और बाउमिस्टर ने दिया. जर्मनी वर्क फेडरेशन के लिए उन्होंने 1914 में शानदार मूर्तियों का निर्माण भी किया. 1919 में बर्लिन में गैलरी डेर स्टूरम में मूर्तिकला से संबंधित उनके काम की एक प्रदर्शनी लगी.
1923 में रंगमंच कार्यशाला का नेतृत्व करने से पहले बौहौस स्कूल में भित्ति चित्रकला और मूर्तिकला विभाग चलाने के लिए वाल्टर ग्रोपियस द्वारा श्लेमर को वीमर में आमंत्रित किया गया था. उनके कामप्लेक्स आइडिया अत्यंत प्रभावशाली हुआ करते थे. इसके कारण वह उस समय स्कूल में काम करने वाले सबसे महत्वपूर्ण शिक्षकों में से एक बन गए. 1929 में श्लेमर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और ब्रेसलाऊ में कला अकादमी में नौकरी करने चले गए.
श्लेमर को अन्तराष्ट्रीय ख्याति 1922 में अपनी पेंटिंग ‘ट्रायडिश बैलेट’ के लिए मिली. ट्रायडिश बैलेट पेंटिंग में कलाकारों को सामान्य से ज्यामितीय आकार में स्थानांतरित किया जाता है. द ट्रायडिक बैलेट रंग, आकार, और मानव आंदोलन के अभिसरण में श्लेमर की रुचि को दर्शाता है. इस पेंटिंग के आधुनिक युग की कल्ट पेंटिंग्स में शामिल किया जाता है.
ट्रायडिश बैलेट का विचार ट्रिनिटी के सिद्धांत पर आधारित था. इसमें 3 एक्ट, 3 पार्टिसिपेन्ट (2 महिला और 1 पुरुष) 12 डांस और 18 कास्टयूम था. प्रत्येक एक्ट में एक अलग रंग और मनोदशा थी. फिगरल केबिनेट, मैन इन स्पेस आदि श्लेमर की कुछ अन्य पेंटिंग हैं. शेल्मर बोहौस स्टेयरवे पेंटिंग संभवतः बिना चेहरे के महिलाओं पर बनी विश्व की सबसे पहली पेंटिंग है.
पेंटिंग के अतिरिक्त शेल्मर का रंगमंच के क्षेत्र में भी महात्वपूर्ण योगदान रहा है. उनके द्वारा तेयार किये गए कास्टयूम की रंगमंच पर एक अलग पहचान होती थी.
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