शिव अनेक हैं. उत्तराखंड में शिव को अनेक रूपों में पूजा जाता है. उत्तराखंड में शैव और वैष्णव दोनों संप्रदाय पाये जाते हैं. उत्तराखंड में शिव के छोटे-बड़े हजारों मंदिर हैं.
इन मंदिरों में महाशिवरात्रि के दिन मेले लगते हैं. महाशिवरात्रि के दिन उत्तराखंड के लगभग सभी छोटे बड़े मंदिरों में मेले लगते हैं. महाशिवरात्रि के दिन लगने वाले इन मेलों का आयोजन सामान्य रूप से स्थानीय लोगों द्वारा ही किया जाता है.
महाशिवरात्रि पर्व पर उत्तराखंड में स्थित शिव मंदिरों से जुड़ी दस अनूठी बातें :
1. माता पार्वती और भगवान शिव ने एक रात गुजारी थी बैजनाथ मंदिर में
बागेश्वर उत्तराखंड में स्थित एक जिला है. इस जिले की गरूण तहसील में गोमती नदी के तट पर बैजनाथ मंदिर स्थित है. बैजनाथ मंदिर हज़ार वर्षों पहले बनाया गया था. बैजनाथ मंदिर के संबंध में मान्यता है कि इसका निर्माण एक ही रात में किया गया था. बैजनाथ मंदिर के दर्शन के लिये यहां देखें. बैजनाथ के शिव मंदिर की तस्वीरें
2. नागर शैली में निर्मित जागेश्वर मंदिर में भगवान शिव ने तपस्या की थी
स्कन्द पुराण के मानस खंड के अनुसार जागेश्वर आठवां ज्योतिर्लिंग है. इसकी स्थापना भगवान विष्णु ने की थी. जागेश्वर मंदिर के संबंध में मान्यता है कि इस मंदिर में शिव और सप्तऋषि ने तप किया था. जागेश्वर मंदिर के विषय में विस्तार से जानकारी के लिये यहां देखें. विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है जागेश्वर
3. शिव का गुप्तवास है गुप्तकाशी
उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव का मंदिर गुप्तकाशी स्थित है. गुप्तकाशी मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक भव्य मेले का भी आयोजन होता है. गुप्तकाशी में मणिकर्णिका नामक मंदिर भी स्थित है. गुप्तकाशी के संबंध में पौराणिक कथा जानने के लिये यहां देखें.गुप्तकाशी: जहाँ शिव गुप्तवास पर रहे
4. भगवान शिव के पंचकेदार
केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर उत्तराखंड स्थित पंचकेदार हैं. महाशिवरात्रि के दिन इन सभी केदारों पर मेले का आयोजन होता है. पंचकेदार में शिव के अलग अलग अंगों को पूजा जाता है. पंचकेदार के विषय में विस्तार से यहां पढ़िये. उत्तराखण्ड में स्थित भगवान शिव के पंचकेदार
5. विश्वनाथ के रूप में उत्तरकाशी में विद्यमान हैं भगवान शिव
उत्तरकाशी में भगवान शिव का विश्वनाथ महादेव मंदिर स्थित है. उत्तरकाशी में अन्य शिवमंदिर के कालेश्वर, छलेश्वर, लक्षेश्वर व रुद्रेश्वर हैं. उत्तराकाशी में महाशिवरात्रि के दिन बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है. इस मेले में हजारों की संख्या में श्रध्दालु आते हैं. उत्तरकाशी में भगवान शिव के विषय में विस्तृत अध्ययन यहां करें. उत्तरकाशी में भगवान शिव
6. शिव की जटाओं के कारण बना मंदिर झांकर सैम
जागेश्वर धाम से तीन किमी दूर स्थित है झांकर सैम का मन्दिर. माना जाता है कि झांकर सैम में भगवान शिव ने तप किया था. झांकर सैम का महात्म्य ‘मानसखंड’ में वर्णित है. झांकर सैम मंदिर की अद्भुत तस्वीरें यहां देखिये. झांकर सैम मंदिर की तस्वीरें
7. ताड़कासुर के वध के बाद भगवान शिव ने रिखणीखाल के ताड़केश्वर महादेव में विश्राम किया
ताड़केश्वर महादेव मंदिर पौढ़ी गढ़वाल जिले में स्थित है. इस मंदिर में शिव के प्रसन्न करने हेतु आज भी लोग घोर तपस्या करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव ने ताड़कासुर के वध के बाद विश्राम किया था. रिखणीखाल के ताड़केश्वर महादेव के विषय में विस्तार से जानिये. रिखणीखाल में है ताड़केश्वर महादेव का मंदिर
8. प्राचीन नागरा, पीढ़ा देवल और वल्लभी शैली की छाप वाला त्रिनेत्रेश्वर बमनस्वाल मंदिर
त्रिनेत्रेश्वर बमनस्वाल मंदिर जागेश्वर के नज़दीक स्थित है. इस मंदिर में प्राचीन नागरा, पीढ़ा देवल और वल्लभी शैली की छाप देखने को मिलती है. त्रिनेत्रेश्वर बमनस्वाल मंदिर की भव्य तस्वीरें यहां देखिये. बमनस्वाल मंदिर के बहाने दो बातें
9. पिथौरागढ़ स्थित लम्बकेश्वर महादेव मंदिर
पिथौरागढ़ जिले के बेड़ीनाग और गंगोलीहाट के बीच स्थित गांव झलतोला में स्थित है लम्बकेश्वर महादेव मंदिर. यह मंदिर स्थानीय आस्था का केंद्र है. इस मंदिर से जुड़ी विस्तृत जानकारी यहां पढ़े. पिथौरागढ़ का लम्बकेश्वर महादेव मंदिर
10. हिमालय भ्रमण के दौरान भीमताल के कैलाश मंदिर आये थे शिव-पार्वती
नैनीताल जिले में शिव मंदिर छोटा कैलाश विख्यात है. छोटा कैलाश मंदिर के संबंध में मान्यता है कि सतयुग में भगवान शिव तथा पार्वती अपनी हिमालय यात्रा के दौरान रुके थे. भीमताल के कैलाश मंदिर के विषय में यहां देखें. छोटा कैलाश: भीमताल ब्लॉक का विख्यात शिव मंदिर
-काफल ट्री डेस्क
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