नवम्बर 2000 में पृथक उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद 18 साल गुजर चुके हैं, ऐसा कहा जा रहा है कि राज्य अब किशोरावस्था से युवावस्था की तरफ बढ़ चुका है. इन 18 सालों में राज्य बनने के बाद उपलब्धियों और विफलताओं का विश्लेषण करने का यही उचित समय है.
स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के सदस्यों ने वरिष्ठ पत्रकार चारू तिवारी की अगुवाई में जनता के बीच जाकर जनसमस्याओं को समझने की कोशिश के तहत 15 दिवसीय ‘जनसंवाद यात्रा’ की शुरुआत 10 अक्टूबर 2018 को पंचेश्वर से की गई, जहां नेपाल-भारत की सीमा निर्धारित करने वाली महाकाली नदी पर एक विशाल बांध प्रस्तावित है. इस यात्रा का समापन 25 अक्टूबर को उत्तरकाशी में होना है. पंचेश्वर से शुरू होकर यह यात्रा चंपावत, लोहाघाट, पिथौरागढ़, झूलाघाट, डीडीहाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट, बागेश्वर, बैजनाथ और अल्मोड़ा आदि स्थानों में जनसभाएं करते हुए 16 अक्टूबर को अपने एक महत्वपूर्ण पड़ाव नैनीताल पहुंची.
नैनीताल शहर के तल्लीताल में आयोजित जनसभा में ‘जनसंवाद यात्रा’ के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के समर्थन में और पंचेश्वर बांध के निर्माण के विरोध में पहाड़ की जनता के बीच भारी जनसमर्थन मिल रहा है. उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी हिस्सों की समस्याओं के लिए उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया. युवा सामाजिक कार्यकर्ता मोहित डिमरी ने भी अपनी बात रखते हुए उपस्थित जनता से पहाड़ की समस्याओं को बहस का विषय बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, पलायन, चिकित्सा-शिक्षा व्यवस्था, चुनावी परिसीमन जैसी समस्याओं का समाधान तभी हो सकता है जब जनता एकजुट होकर आवाज उठाए.
युवा आंदोलनकारी प्रदीप सती ने भी अपने व्यक्तव्य में इस बात पर जोर दिया कि राज्य आन्दोलनकरियों की भावना के अनुरूप पहाड़ी प्रदेश की पूर्ण राजधानी गैरसैंण में ही बनाई जाए और यह राज्य आंदोलन के वक्त से ही जनता की मांग थी. नैनीताल के स्थानीय मुद्दों को जोड़ते हुए प्रदीप ने कहा कि अब राज्य के अलग अलग हिस्सों में संघर्ष कर रहे लोगों को एकजुट होकर सामने आना होगा और इस यात्रा के माध्यम से सबको एकजुट करने की कोशिशों को मजबूती भी मिल रही है. नैनीताल की जनसभा में इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक, वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, दयाल पांडे, उमेश तिवारी ‘विश्वास’, यूकेडी के नेता भुवन जोशी, महेश जोशी, दिनेश सिंह, भास्कर उप्रेती, पृथ्वी सिंह, भारती जोशी, शीला रजवार, हेम पन्त आदि लोग भी उपस्थित रहे.
नैनीताल के बाद 17 अक्टूबर को रामनगर, 18 को भिकियासैंण, मासी और द्वाराहाट, 19 को चौखुटिया, गैरसैंण, 20 को कर्णप्रयाग, गोपेश्वर, 21 को रुद्रप्रयाग, 22 अक्टूबर को केदारघाटी, 23 अक्टूबर को श्रीनगर और पौड़ी, 24 अक्टूबर को मलेथा, टिहरी होते हुए 25 अक्टूबर को उत्तरकाशी में इस यात्रा का समापन होगा.
हेम पंत मूलतः पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं. वर्तमान में रुद्रपुर में कार्यरत हैं. हेम पंत उत्तराखंड में सांस्कृतिक चेतना फैलाने का कार्य कर रहे ‘क्रियेटिव उत्तराखंड’ के एक सक्रिय सदस्य हैं .
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1 Comments
Anonymous
पूरी जन चेतना टीम को हमारी शुभकामनायें ।
जिन साथियों ने उत्तराखंड में सास्कृतिक चेतना जगाने की पहल की है वह सराहनीय है। हमारा पूर्ण सहयोग है।
गैरसैंण राजधानी, पंचेश्वर डैम आदि विषय आम जन को संवाद से ही समझ आ सकते हैं।
उत्तराखंड में एक बहुत विकट समस्या हमारे नवयुवकों के सामने मुह बाये खड़ी है वह है *ड्रग्स* की समस्या मेरा जन चेतना टीम के साथियों से अनुरोध है कि इस विषय को भी अपनी प्राथमिकता दें।
शुभकामनाओं के साथ।
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