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8 Comments

  1. K s rawat

    गंध
    बकरी से- बकरैन
    कुत्ते से – कुकरैन
    मछली से – मछैन
    कपड़ा या बाल जलने पर – किड़ैन
    बाघ से – बगैन
    मखन से घी बनाते समय भी -भुटैन
    चरसियों से – भंगैन या अतरैन
    नैर पाती से -धूपैण ( जिस पात्र में जलाया जाता है उसके लिए भी प्रयुक्त होता है)
    गोबर से -घुभरैन
    जो सबसे अजीब असहनीय -गुवैन

    ऐन जुड़ गया है सभी शब्दों में

  2. Ravi Chandra Joshi

    तिमूर के बारे में भी जानकारी देने की कोशिश करें ।
    पहाड़ में गधेरों की मुँडेरों पर लंबी सींकों से युक्त काँटेदार झाड़ी जिसके दातुन करने का अनुभव मेरे लिए व्यक्त करना मुश्किल है ।

  3. Praveen Kumar Soni

    I love uttrakhand I love kumauni language

  4. bipin

    chatpatey khaney ki gandh ko लटपटैन

  5. Tarun

    This article need more research.The origin of different smell is different language.For example churan drives for tibeten language.

  6. G C Brijwasi

    I am unable to understand the procedure for selection of matter for ur blog. One condition i m aware that it should be related to Uttrakhand. Rest i dont know. If possible let me know pl.

  7. Bittu

    यदि पैसे से ज्यादा संस्कृति ही प्यारी है तो लेख हिंदी की जगह कुमाउनी में ही लिखें या फिर दोनों में ….

  8. SHARAD PANDEY

    झलिया शब्द केवल कुमाऊं वाले प्रयोग करते हैं. इसका पर्यायवाची ना हिंदी और ना ही अंग्रेज़ी में हैं. इसके लिए हिंदी में तीता (कौड़ी या कड़वी) और अंग्रेज़ी में (bitter, pungent) शब्द है, लेकिन मिरचा (खुशांणी) के तीखेपन के लिए सटीक शब्द कुमाऊंनी में ही है.
    पुनश्च: खुशांणी शब्द लिखने में गलती की गुंजाइश है.

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