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2 Comments

  1. गोपेन्द्र पाल

    बचपन की यादें ताजा कर दी आंखों को गीला कर दिया

  2. शैलेष कुमार

    मैं पहाड़ी नहीं हूं फिर भी पहाड़ और पहाड़ी संस्कृति से लगाव अप्रतिम है। पहाड़ जब भी बुलाते हैं भाग जाता हूं उनके पास । काफल ट्री पर रचनाएं बहुत उम्दा और हृदयस्पर्शी हैं।

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