समाज

उत्तराखंड पुलिस की इन तस्वीरों को देख आप भी कहेंगे सलाम है मित्र पुलिस

लॉकडाउन का दूसरा चरण समाप्ति की ओर है. स्वच्छताकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी ने 133 करोड़ की आबादी वाले बड़े देश को संभाला है. पिछले एक महीने से अधिक के समय में उत्तराखंड पुलिस की कुछ तस्वीरें हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे सलाम है मित्र पुलिस :
(Uttarakhand Police During Lock-Down)

मुनस्यारी के एक गाँव में एक गर्भवती महिला को अल्ट्रासाउंड के लिए कहा गया था. अल्ट्रासाउंड पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में ही संभव था. पिथौरागढ़ पुलिस के फेसबुक पेज पर जब महिला के परिचितों ने सूचना दी तो पुलिस से वाहन की व्यवस्था की और उन्हें तुंरत जिला महिला अस्पताल पहुँचाया.

अल्मोड़ा पुलिस के फेसबुक पेज पर एक बुजुर्ग महिला का वीडियो आता है. वीडियो मुख्यालय से 180 किमी की दूरी पर स्थित सल्ट क्षेत्र के गाँव कोट जसपुर की महिला था. बुजुर्ग महिला अपनी दवाओं के खत्म होने की बात कह रही थी. अल्मोड़ा पुलिस दवाओं और फलों के साथ बुजुर्ग के घर में दिखती है.
(Uttarakhand Police During Lock-Down)

सन्नी कौशिक मुम्बई में काम करते हैं और उनका परिवार हरिद्वार में रहता है. उनके पांच साल के बेटे का जन्मदिन आता है पिता के न आने की असमर्थता जान बेटा पिता से पुलिस अंकल के हाथों लाया केक काटने की जिद्द पकड़ लेता है. पिता सन्नी किसी तरह पुलिस से संपर्क करते हैं. हरिद्वार पुलिस के कांस्टेबल मुकेश और शिवचरण केक के साथ सन्नी के घर के दरवाजे पर दिखेते हैं.

लॉकडाउन के कारण पिथौरागढ़ में दस नेपाली परिवार फंस जाते हैं. इन्हीं परिवारों में एक परिवार में दस दिन पहले ही एक नवजात का जन्म होता है. पिथौरागढ़ पुलिस अधीक्षक प्रीति प्रियदर्शिनी के कानों तक खबर आती है. अगले दिन में महिला के पास प्रसव के बाद जरूरी सामाग्री, पौष्टिक आहार और बेबी केयर किट होता है.

आमडाली डांडामंडी रोड दुगड्डा से एक बुजुर्ग महिला के पैदल दुगड्डा की ओर चलने की सूचना कोटद्वार पुलिस को मिलती है. पूछताछ में पता चलता है कि 85 वर्ष की बुजुर्ग को उसके बेटे ने मारपीट कर घर से निकाल दिया है और उसके पासबुक और कागज भी छीन लिए हैं. कोटद्वार पुलिस बुजुर्ग को सबसे पहले खाना खिलाती है और फिर बैंक ले जाकर उनके खाते से धनराशि निकालवा कर उन्हें देती है. बुजुर्ग महिला उन्हें अपनी बेटी के घर बांसी गाँव रतुवाढाब में छोड़ने का आग्रह करती है. पुलिस वाहन की व्यवस्था कर उन्हें उनकी बेटी के घर छोड़ आती है.

पिछले एक माह में ऐसी सैकड़ों छोटी-छोटी घटनाएं हुई हैं जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस और मित्र पुलिस एक दूसरे के पर्याय लगते हैं. उत्तराखंड पुलिस ने मिलकर मुख्यमंत्री सहायता कोष में करीब तीन करोड़ की धनराशि भी जमा की है.
(Uttarakhand Police During Lock-Down)

काफल ट्री डेस्क

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