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1 Comments

  1. सुमित सिंह

    बिल्कुल वाजिब कहा आपने। मजा – मजा के चक्कर में अब कुछ भी बहुमूल्य सहेज कर रखने का आग्रह गायब हो चुका है। हिमालय पूरी दुनिया में साहब एक ही है, न चेते और विकास वादी अहंकार से बाहर न निकले तो एक दिन कुछ नहीं बचेगा। हिमालय बचेगा तो बचेगी मानवता। राहुल आपके दुख से में भी इत्तफाक रखता हूँ।

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