राजा महाराज की कहानी हम लोगों ने खूब सुनी हैं. कहते हैं जब राजा आता था तो उसकी पालकी के आगे पीछे खूब सारे हाथी घोड़े निकलते थे. जिनका खर्चा जनता उठाती थी. Uttarakhand CM in Bageshwar
अब राजतंत्र और लोकतंत्र के फर्क को मिटाने के लिये सरकार समय-समय आयोजन करती है. उत्तराखंड में ऐसे आयोजन मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री द्वारा आये दिन किये जाते हैं. हाल में इस आयोजन के शिकार बागेश्वर के लोग हुए.
दरसल पिछले दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बागेश्वर के दौरे पर थे. अब मैदान जैसा होता तो हेलीकॉप्टर से जहां चाहे वहां उतर जाते. अब मामला हुआ पहाड़ को तो साहब को मज़बूरी में गाड़ी में चलना पड़ा.
मुख्यमंत्री जमीन पर पैर रखें और प्रशासन की नींद न उड़े यह कैसे संभव है. उन्होंने साहब के लिये शाही काफिले का इंतजाम कर दिया. सड़कें तुरंत खाली करवाई गयी. मुख्यमंत्री के काफिले के कुछ समय पहले से सड़कों पर निजी वाहनों को चलने से रोक दिया गया.
फिर अचानक से पुलिस के सायरन के बीच एक-दो-पांच-सात-पन्द्रह-पच्चीस-पैंतीस गाड़ियां एक के पीछे एक निकलती हैं. इन्हीं में से एक में मुख्यमंत्री भी विराजमान होते हैं. कहाँ तो जनता मुख्यमंत्री देखने आई थी गाड़ी ही गिनती रह गयी. Uttarakhand CM in Bageshwar
मुख्यमंत्री ने बागेश्वर यात्रा के बाद वहां की गयी करोड़ों की घोषणा की सूचना अपने फेसबुक पर दी है. लेकिन मुख्यमंत्री का यह काफिला अपने पीछे कुछ सवाल भी छोड़ गया.
मुख्यमंत्री के आधे दिन के दौरे के लिए लगभग 30 गाड़ियां लगना कितना सही है. राज्य के मुख्यमंत्री के इतने बड़े काफिले के लिये निजी वाहनों को सड़क से हटा देना कितना सही है. सरकारी खजाने से मुख्यमंत्री द्वारा अपने दल-बल का यह प्रदर्शन किसके हित में है. जिस जिले में आये दिन एम्बुलेंस इसलिये आने से मना कर देती है क्योंकि उसके पास तेल नहीं होता है उस जिले में तीस गाड़ियां केवल मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए कैसे लगाई जा सकती हैं?
बागेश्वर महिपाल नाम के एक यूट्यूब चैनल पर मुख्यमंत्री के इस काफिले का एक वीडियो भी है.
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ये काले अंग्रेज़ हैं सर, ये हमको तारकर ही मानेंगे । गोरा अंग्रेज तो आमजन से इतना नहीं डरता था, पर ये काले अंग्रेज़ आमजन से बहुत डरते हैं, इसीलिए इतना तामझाम लेकर चलते हैं ।