33% महिला आरक्षण की माँग करने वाली पहली महिला. अपनी ही सरकार के खिलाफ 15 दिनों तक आमरण अनशन करने वाली नेत्री. अपने क्षेत्र से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली पहली छात्रा. अपने क्षेत्र... Read more
‘साह’ जाति-नाम पर कुछ नोट्स
राजीव लोचन साह की ओर शायद मैं आकर्षित नहीं होता अगर वह उसी सरनेम वाला नहीं होता, जो मेरी बुआ का था और जिनकी शरण में रहकर मैं नैनीताल में पढ़ रहा था. इसका मतलब यह नहीं है कि वह मेरा रिश्तेदार... Read more
फूलों का मौसम आ गया
पहाड़ में इन दिनों वनों में लाल-लाल बुरांश के फूल खिल गए हैं. हरे-भरे वनों में जहां नजर डालो, लगता है बुरांश के पेड़ों ने लाल ओढ़नी ओढ़ ली है. बचपन में सुना वह गीत कानों में गूंजने लगा हैः (... Read more
नैनीताल का मालिकाना पर्सी बैरन के छल से अंग्रेजों ने नरसिंह थोकदार से हथियाया
सन 1842 में शिकार के शौक़ीन मि. पर्सी बैरन के द्वारा नैनीताल का पता लगा लेने तक यहां पर एक झोपड़ी तक नहीं हुआ करती थी. इस समय नैनीताल झील और इसके आसपास का जंगल थोकदार नरसिंह के अधिकार क्षेत्... Read more
गूजर: उत्तराखण्ड की तराई के प्रकृतिप्रेमी घुमंतू
गूजर भारत के गडरिया कबीले के लोग हैं. गुजर नाम संस्कृत के गूजर से निकला है, जो आज के गुजरात का मूल नाम था. कहा जाता है कि गूजर मूलतः गो-पालक थे, उन्हें गोचर कहा जाता था. उनका आदि स्थान गुजरा... Read more
गोठ में पहाड़ी रजस्वला महिलाओं के पांच दिन
कुछ सालों पहले उत्तराखण्ड के गाँवों में कोई नई दुल्हन जब ससुराल में प्रवेश करती थी – उसकी पहली माहवारी, जिसे लोक भाषा में धिंगाड़ होना, छूत होना, अलग होना, दिन होना या मासिक आदि नामों... Read more
जॉन हेरॉल्ड एबट का बनवाया हुआ चर्च – डाक्टर डेथ यानि डाक्टर मॉरिस के खतरनाक प्रयोगों की दास्तान (Abbot Mount Haunted Remains of Raj) हिमालय की तराई से चलकर जब आप टनकपुर से शिवालिक पहाड... Read more
हल्द्वानी ब्लॉक की पनियाली ग्राम सभा से मात्र 21 साल 3 महीने की उम्र में ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर रागिनी आर्या ने नया इतिहास रचा है. रागिनी आर्य सबसे कम उम्र की जनप्रतिनिधि बनी हैं. (Youn... Read more
कुमाऊं गढ़वाल की दुर्लभ उच्च हिमालयी लाल जड़ी
अगर आपने अपना बचपन पहाड़ के किसी गाँव में बिताया है, अगर आपके बचपन तक आर्थिक सुधारों का असर देर से पंहुचा हो. अगर आपका बचपन टीवी और बिजली से अजनबी रहा हो. अगर सड़क आप साल में एक दो बार ही दे... Read more
नैनीताल जिले का छोटा सा कस्बा मुक्तेश्वर अंग्रेजों की देन है. लिंगार्ड नामक एक अंग्रेज ने इसकी खोज की और उसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने अनुसन्धान कार्यों के लिए इसको चुना. धीरे-धीरे आजादी के बाद... Read more
Popular Posts
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल
- चप्पलों के अच्छे दिन
- छिपलाकोट अंतरयात्रा : चल उड़ जा रे पंछी
- बिरुण पंचमि जाड़ि जामलि, बसंतपंचमि कान कामलि
- ‘कल फिर जब सुबह होगी’ आंचलिक साहित्य की नई, ताज़ी और रससिक्त विधा