काली कुमाऊँ की काली नदी
काली नदी उत्तराखण्ड की 4 बड़ी नदियों में से एक है. यह गंगा नदी की मुख्य सहायक नदी है. यह कुमाऊँ मंडल में भारत तथा नेपाल की सीमा में प्रवाहित होती है. काली नदी का उद्गम स्थल लप्यालेख दर्रे के... Read more
ऋग्वेद के शम्बर प्रसंग के अनुसार बाणासुर हिमालय में रहने वाले एक असुर थे. वायुपुराण में शतश्रृंग पर्व पर असुरों के 100 पुरों (किलों) का उल्लेख मिलता है. रामायण, महाभारत और अन्य पुराणों के कई... Read more
भिटौली के महीने में गायी जाती है गोरिधना की कथा
जेठ म्हैणा जेठ होली, रंगीलो बैसाख, रंगीलो बैसाख लाड़ो म्हैणा, योछ चैतोलिया मास. बैणा वे येछ गोरी रैणा मैणा ऋतु मयाल. कुमाऊँ के जोहार अंचल में गाये जाने वाले इस गीत का भाव है— जेठ का महीना सबस... Read more
‘केदारनाद’ की कुमाऊनी होली बसंती नारंगी
उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत संकटग्रस्त है. इसके विभिन्न कारणों पर अक्सर चर्चा होती रहती है. इन्हीं हालातों के बीच उम्मीद की ताजा हवा के कुछ झोंके भी आते रहते हैं. इन्हीं झोंकों में हैं ल... Read more
शकुनाखर: मांगलिक अवसरों पर गाये जाने वाले गीत
शकुनाखर (Shakunakhar) उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के कुमाऊँ मंडल में किसी भी शुभ कार्य की शरुआत से पहले गाये जाने वाले गीत हैं. शकुन का अर्थ है शगुन और आखर मतलब अक्षर. इस तरह यह नाम शगुन के मौक... Read more
कुमाऊँ का हुड़किया समुदाय
लोकसंस्कृति के पुरोधा हुड़किया उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में एक उपजाति हुआ करती है. यह राजस्थान की मिरासी जाति की ही तरह एक जाति है. यह उत्तराखण्ड की शिल्पकार (दलित) जाति की ही एक उपजाति (Hud... Read more
बगड़: तटीय भूमि पर बसे गाँव-कस्बे
उत्तराखण्ड के गढ़वाल व कुमाऊँ दोनों ही मंडलों में कई जगहों के नाम में बगड़ शब्द का इस्तेमाल हुआ करता है. बगड़ का मतलब हिमालय से प्रवाहित होने वाली नदियों-नालों के करीब की तटीय, समतल भूमि से है.... Read more
झंगोरा: पहाड़ का पारंपरिक व पौष्टिक अनाज
विभिन्न नामों से जाना जाता है झंगोरा उत्तराखण्ड में झंगोरा (Jhangora) नाम से पहचाने जाने वाले अनाज का वानस्पतिक नाम इकनिक्लोवा फ्रूमेन्टेंसी (Echinochloa frumentacea) है. अंग्रेजी में इसे इं... Read more
सौ साल पुराने कुमाऊँ की तस्वीरें
एक ज़रूरी किताब कुमाऊँ (Kumaon) के बारे में 1905 में छपी ई. शर्मन ओकले (E. Sherman Oakley) की किताब ‘होली हिमालयाज: द रिलीजन, ट्रेडिशन्स, एंड सीनरी ऑफ़ हिमालयन प्रोविन्स’ (Holy Him... Read more
मीडिया व बाजार धीरे-धीरे हमारी विभिन्न लोक व उसकी संस्कृतियों को निगलते जा रहे हैं. और यह इतने धीरे से दबे पॉव हो रहा है कि हमें पता ही नहीं चल रहा है कि हम अपने “लोक” व उसकी संस... Read more
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