दारमा घाटी के गो गाँव में खलनायक
आठ दिन हो गए बारिश को. बीच में आधे दिन के लिए रुकी थी पर तीन दिन से तो एक मिनट के लिए भी आसमान ने आराम नहीं किया. सुबह तिदांग से मारछा को निकल तो गए लेकिन लसर यांगती पर बने पुल को देखकर हवा... Read more
समधी के ओड्यार में तीन रातें
हमें घर से निकले पांच-छह दिन तो हो ही गए होंगे और पिछले चार दिन से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी. जिस दिन से हम कनार से ऊपर चले तब से मानो असमान हमसे नाराज हो गया. पहले दिन हमने कनार से... Read more
पहली मिलम यात्रा के शुरूआती दो दिनों में मुझे और कमल दा को एक चीज का पक्का पता चल गया था कि हमारे साथी फ़कीर दा हमको बच्चा समझ कर हमारा भौत चूरन काट रहे थे. चूँकि हम सकल सूरत और जेब से कत्तई... Read more
हिमालय की कठिन चढ़ाई के दौरान बुजुर्गों द्वारा सूखी लाल मिर्च खाने का किस्सा
पंकज अब अपनी रौ में आ गया था. सुबह जल्दी उठो के नारे के बाद उसने कमान अपने हाथ में ले ली. मैं मुस्कुरा दिया. चाय पीने के बाद हमने नागन्यालजी से विदा ली और नागलिंग गांव के किनारे से ढलान का र... Read more
बाद में जब इस यात्रा के बारे में नगन्यालजी से बातें हुवी तो उनके पास उनके बचपन के ढेरों किस्सों की खान मिली. बकौल नगन्यालजी – (Sin La Pass Trek 20) गाँव की पवित्र शिला, जिसको प्राचीन... Read more
सामने पंचाचूली बांहें फैलाए दिखी. उसका ग्लेशियर किसी खौलते हुए लावे की तरह डरावना प्रतीत हो रहा था. कुछ पलों तक उसे निहारने के बाद तन्द्रा टूटी तो दांई ओर जसुली दत्ताल की एक खूबसूरत मूर्ति द... Read more
दारमा के बेदांग में तैनात पंचाचूली के पहरेदार
‘क्यों आए, कैसे आए, परमिट दिखाओ…’ के सवाल उठने लाजमी थे. इस पर हमने उन्हें अपने परमिट दिखाए. रजिस्टर में दर्ज करते हुए जब उन्हें भान हुआ कि हममें से दो पत्रकार हैं तो उनका... Read more
गहरे हरे रंग का गौरीकुंड और सिनला पास का शिखर
पंकज, पूरन और महेशदा तेजी से चल रहे थे. उनके पीछे कुछ दूरी पर संजय था और सबसे पीछे बेढब रकसेक को लादे मैं चल रहा था. मौसम खुशनुमा था तो मुझे अब चिंता नहीं थी कि हम दर्रे के पार बेदांग में कब... Read more
अद्भुत है पार्वती ताल
लगभग दो किमी की परिधि से घिरा पार्वती ताल बेहद खूबसूरत था. ताल किनारे चहल-कदमी करते हुए पंकज और मैं तीनों साथियों को पंचस्नान करते देख रहे थे. वे श्रद्धा में डूब-उतरा रहे थे. पूरन और महेश दा... Read more
कुटी गाँव का महाभारत के साथ सम्बन्ध
कुटी से ज्योलिंगकांग करीब 13 किमी का रास्ता शांत और धीरे-धीरे ऊंचाई लिए है. कुटी गांव की सीमा पर पानी के दो धारे दिखाई दिए. एक को पीने का पानी भरने और दूसरे को नहाने और कपड़े धोने के लिए लिह... Read more
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