गर्ब्यांग से गुंजी गांव की यात्रा
दोपहर को फिर घूमने का मन हुआ तो गर्ब्यांग गांव से आगे काली नदी की ओर निकल गए. काली नदी में बना एक पैदल पुल बना दिखाई दे रहा था. नदी पार नेपाल में कुछ झुग्गियां दिख रही थी. सांझ होने लगी तो व... Read more
सुबह जागे तो मौसम ठंडा और खुशनुमा था. चाय पीने के बाद कुछ देर आंगन में धूप के इंतजार में चहल-कदमी करते रहे. धीरे-धीरे धूप ने पूरे गांव में अपनी चादर फैला दी तो महेशदा ने एक थाली पकड़ उसे हुड... Read more
अप्रतिम छियालेख 3350 मीटर की ऊंचाई पर हैं. चारों ओर बुग्याली फूल जैसे खुश होकर झूम रहे थे. मन तो हो रहा था की यहीं अपने तंबू तान लिए जाएं, लेकिन आगे गर्ब्यांग में हीरा को आज पहुंचने का सन्दे... Read more
अनगितन सीढ़ियों वाले इस घुमावदार खड़े रास्ते के बाद छियालेख का मखमली बुग्याल
लगभग 2018 मीटर की ऊंचाई पर आज की रात हम मालपा में थे. 17 अगस्त 1998 की दुर्भाग्यशाली रात इस जगह के लिए बहुत कातिल थी, जिसके घाव आज भी यहां जिंदा हैं. रात में जब इस कैलाश यात्रा पड़ाव में लोग... Read more
जिन चट्टानों को देख कमजोर दिल सहम जाते हैं वहां पहाड़ की महिलायें घास काटती हैं
घटियाबगड़ में कुछ दुकानें दिखाई दी थीं. इनमें जरूरत भर का सामान भी मौजूद था. यहां गांवों में बनने वाली कच्ची शराब, जिसे स्थानीय लोग ‘चक्ती’ कहते हैं, हर दुकान में सर्वसुलभ थी. शु... Read more
हम होंगे सिनला पार एक दिन – 4 दारचूला से एक बार फिर काली नदी के झूला पूल को पारकर हम वापस लौटे. पुल पर तैनात जवानों को अपना सामान दिखाया तो वे भी मुस्कुराते हुए बोले, “ये भी कोई सामान... Read more
हम होंगे सिनला पार एक दिन – 3 हमारे पास समय था तो नदी पार दारचूला जाने की योजना बनी. वैसे भी पार हमारे लिए एक अजूबा विदेश ही था, जिसके बारे में बचपन से सुनते आए थे कि नेपाल के बाज़ार में मिल... Read more
हम होंगे सिनला पार एक दिन – 2 वैन आगे बढ़ी तो मन में दारमा-व्यास की रहस्यमयी घाटियों की अनदेखी तस्वीरें हिलोरें लेने लगीं. इरादा था कि दोपहर तक हम धारचूला पहुंच जाएंगे और वहां नोटिफाइड... Read more
बागेश्वर से सिनला दर्रे की दुर्गम यात्रा की शुरुआत
वर्ष 2001 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस कोर्स करने के बाद प्रातःकालीन भ्रमण का एक नियम सा बन गया था. तब सुबह के साथी मित्र पंकज पांडे हुआ करते थे. सुबह के वक्त पहाड़ी रास्तों में गप... Read more
चम्पावत का बालेश्वर मंदिर: कमल जोशी के फोटो
कुमाऊँ में टनकपुर से लगभग 75 किमी दूर 1670 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चम्पावत का मशहूर बालेश्वर मंदिर शिल्प व लोकथात की समृद्ध पूंजी है. ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार चौदहवीं शताब्दी में चम्पावत ब... Read more
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