पहाड़ और मेरा जीवन – 20 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.) किसी का बचपन पहाड़ में गुजरा हो और वह यह कहे कि उसने कभी किलमोड... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 19 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.) ठुलीगाड़ के पास जो जौं की ताल है, जो इन दिनों चौबीस पहर सन्नाटे... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 18 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.) बचपन के कुछ वाकये और कुछ लोग इस तरह याद हैं कि लगता है जैसे सब... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन भाग-17 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.) जैसा कि मैं आपको बता ही चुका हूं कि पिथौरागढ़ में पिता की बेरोजगारी... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 12 (पिछली क़िस्त : उधमपुर में दो साल के छोटे भाई की मौत और पिता का थोड़ा पगला जाना) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रत... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 11 (पिछली क़िस्त : जम्मू में नदी से मछलियां पकड़ना और अर्चना वर्मा की कॉपी से नकल करना) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 10 (पिछली क़िस्त : हां मैंने चलाए साइकल के लचक मारते, पुराने टायर और भरपूर मजा लूटा) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रत... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 9 (पिछली क़िस्त : कंचों के खेल ने साबित किया कि मैं कृष्ण जैसा अवतार था) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.)... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 8 (पिछली क़िस्त : अमीर अंकलों की खैरात से जब दिल्ली में मैंने मौज उड़ाई ) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 7 दिल्ली की डीटीसी बसों में मैंने एक समय के बाद टिकट लेना बंद ही कर दिया. मां जब मुझे बस के किराए के लिए तीस पैसे देती, तो मैं मन ही मन सोचने लगता कि तीस पैसे का आज क्या... Read more
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