सुबह जागे तो मौसम ठंडा और खुशनुमा था. चाय पीने के बाद कुछ देर आंगन में धूप के इंतजार में चहल-कदमी करते रहे. धीरे-धीरे धूप ने पूरे गांव में अपनी चादर फैला दी तो महेशदा ने एक थाली पकड़ उसे हुड... Read more
अप्रतिम छियालेख 3350 मीटर की ऊंचाई पर हैं. चारों ओर बुग्याली फूल जैसे खुश होकर झूम रहे थे. मन तो हो रहा था की यहीं अपने तंबू तान लिए जाएं, लेकिन आगे गर्ब्यांग में हीरा को आज पहुंचने का सन्दे... Read more
अनगितन सीढ़ियों वाले इस घुमावदार खड़े रास्ते के बाद छियालेख का मखमली बुग्याल
लगभग 2018 मीटर की ऊंचाई पर आज की रात हम मालपा में थे. 17 अगस्त 1998 की दुर्भाग्यशाली रात इस जगह के लिए बहुत कातिल थी, जिसके घाव आज भी यहां जिंदा हैं. रात में जब इस कैलाश यात्रा पड़ाव में लोग... Read more
जिन चट्टानों को देख कमजोर दिल सहम जाते हैं वहां पहाड़ की महिलायें घास काटती हैं
घटियाबगड़ में कुछ दुकानें दिखाई दी थीं. इनमें जरूरत भर का सामान भी मौजूद था. यहां गांवों में बनने वाली कच्ची शराब, जिसे स्थानीय लोग ‘चक्ती’ कहते हैं, हर दुकान में सर्वसुलभ थी. शु... Read more
Popular Posts
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल