मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘सौत’
Posted By: Kafal Treeon:
जब रजिया के दो-तीन बच्चे होकर मर गये और उम्र ढल चली, तो रामू का प्रेम उससे कुछ कम होने लगा और दूसरे व्याह की धुन सवार हुई. आये दिन रजिया से बकझक होने लगी. रामू एक-न-एक बहाना खोजकर रजिया पर ब... Read more
Popular Posts
- उत्तराखंड में वित्तीय अनुशासन की नई दिशा
- राज्य की संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में महिलाओं का योगदान
- उत्तराखण्ड 25 वर्ष: उपलब्धियाँ और भविष्य की रूपरेखा
- आजादी से पहले ही उठ चुकी थी अलग पर्वतीय राज्य की मांग
- मां, हम हँस क्यों नहीं सकते?
- कुमाउनी भाषा आर्य व अनार्य भाषाओं का मिश्रण मानी गई
- नीब करौरी धाम को क्यों कहते हैं ‘कैंची धाम’?
- “घात” या दैवीय हस्तक्षेप : उत्तराखंड की रहस्यमयी परंपराएँ
- अद्भुत है राजा ब्रह्मदेव और उनकी सात बेटियों के शौर्य की गाथा
- कैंची धाम का प्रसाद: क्यों खास हैं बाबा नीम करौली महाराज के मालपुए?
- जादुई बकरी की कहानी
- तो ऐसे बनती थी लखु उडियार जैसी प्रागैतिहासिक पेंटिंग्स
- आप कितना जानते हैं नैनीताल के भाबर की नदियों को
- पहाड़ की सिन्ड्रेला ‘सूनिमाया’ की कहानी
- नगरूघाट मेला : यहाँ लगती है “मितज्यू” की अनूठी डोर
- वह रील्स भी बनाती है और रन भी: आज की बेटी जेमिमाह
- काफल ट्री फाउंडेशन का अब तक का हासिल
- सीएमएस की कुर्सी और सिस्टम का पोस्टमार्टम ?
- ‘मनमोहन सिंह’ उम्मीदों से भरा सफर :
- ‘भूतगांव’ पहाड़ की नब्ज पकड़ता उपन्यास
- अपनी माटी में बेटी की वापसी
- कैंची धाम मेले के लिए उत्तराखंड पुलिस सजग, ये हैं खास तैयारी
- ऐसे बीज बिछा रे, सुख चैन उगे दुख दर्द मिटे
- ‘हेमवंती’ जहां मोहब्बत मजबूरी नहीं ताकत बन जाती है
- पहाड़ से निकलकर बास्केटबॉल में देश का नाम रोशन करने कैप्टन हरि दत्त कापड़ी का निधन
