लोक तंतर में पुलिस मंतर
मैं अमरीक्का में हूँ जहाँ आजकल अपने मुलुक जैसे जम्हूरियत की दुम सीधी करने वाले काम हो रहे हैं. अब ये पता नहीं मैं यहाँ आया हूँ या लाया गया हूँ! मुझे लगता है मुझे तो अमरीकी लोकतंत्र ने बुलाया... Read more
जयंती, शिक्षा विभाग और चाय-नमकीन
अपने मुल्क में बड़े लोगों की जयंती मनाए जाने का चलन आम है. बहुत बड़े लोगों की पुण्यतिथि भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि सामान्य जन इन आयोजनों से प्रेरणा लेकर उनके टाइप बनने का प्रयास कर... Read more
ट्वीट कराओ – कोरोना भगाओ
उनकी टैस्ट रिपोर्ट अभी-अभी पॉजिटिव आयी है. ये एन्टीजन टैस्ट बताया जा रहा है. वो हमेशा ही एन्टी जन रहे हैं, रिपोर्ट तो पॉजिटिव आनी ही थी. उन्होंने इतरा कर ट्वीट किया है कि वो ‘पॉज... Read more
हे राम कथा वाया माल्या जी
उद्योगपति माल्या के तहख़ाने का माल देखकर मंत्री की आँखें चुंधिया गईं “वाह माल्या जी ! आपका किंगफिशर तो काफ़ी कुछ बटोर लाया है.” Satire Vijay malya by Umesh Tewari Vishwaas... Read more
अपने देश में शायरों के जो किस्से चलते हैं उनसे लगता है कि वे पढ़ते-लिखते नहीं थे
कुछ दिनों पहले एक बड़े शायर की संक्षिप्त जीवनी और उनकी रचनाएँ पढ़ने का अवसर मिला. उनकी जीवनी कुछ इस तरह थी-वह (शायर) धीरे-धीरे शराब के नशे में डूबने लगा. जन्मदिनांक, जन्मस्थान के बाद जीवनीका... Read more
पांच बीघा लम्बे नाम का झंझट
जिन्होंने ‘लोकतांत्रिक’ विश्वविद्यालयों या महाविद्यालयों में रत्ती भर भी पढ़ाई की है, वे छात्र राजनीति में ‘नाम’ के महत्व से जरूर परिचित होंगे. छात्रसंघ चुनाओं में छात्र नेताओं का नाम विशेष... Read more
हम सब उम्र के उस दौर में थे जिसे वय:संधि कहते हैं और जिसके वर्णन के बहाने पुराने कवियों ने शृंगार रस का जम कर मसाला छाना है. मन पर सरसों के पीले खेत में तिरछा हो कर भुजा पसारे सारूक खान अभिन... Read more
ओएशडी सैप कह लो चाहे निजी शचिव कह लो – नीश हर जगह होने वाले हुए उत्राखंड में
उसने अपनी फुलौड़ी नाक को ज़रा सा टेढ़ीयाया और बोला- ‘वरफ़ारी हो रई वरफ़ारी’ (Personal Secretaries of Modern Politicians Satire) -`क्या’ -`अए वरफ़ारी सुरु हो गई… इश्नो... Read more
कविराज नूर बहोड़ापुरी के बारे में ख़बर मिली कि पुस्तक मेले से लौट कर वे भारी अवसाद (डिप्रेशन) में चले गए हैं. इतना कि उनको मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराना पड़ा. मैं उनको देखने के लिए अस्पत... Read more
पर्वत पुत्र और हिल क्वीन
शस्यश्यामला देवभूमि की सड़क से साढ़े छत्तीस डिग्री का कोण बनाती सवारियों से लदी केमू की यह बस हल्द्वानी टेढ़ी पुलिया पर मेरे दाएं कंधे को फ्लाइंग भुक्की देती निकल गयी. दिमाग़ ने कहा लै फ़ोटो... Read more
Popular Posts
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल
- चप्पलों के अच्छे दिन
- छिपलाकोट अंतरयात्रा : चल उड़ जा रे पंछी
- बिरुण पंचमि जाड़ि जामलि, बसंतपंचमि कान कामलि
- ‘कल फिर जब सुबह होगी’ आंचलिक साहित्य की नई, ताज़ी और रससिक्त विधा
- कसारदेवी के पहाड़ से ब्लू सुपरमून
- ‘लाया’ हिमालयी गाँवों की आर्थिकी की रीढ़ पशुपालकों का मेला
- ‘गिर्दा’ की जीवन कहानी
- पहाड़ों में रोग उपचार की एक पारम्परिक विधि हुआ करती थी ‘लङण’
- पूर्व मुख्यमंत्री टॉर्च और मोमबत्ती की मदद से खोजने निकले ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण
- उत्तराखंड में सकल पर्यावरण सूचक