लोकतंत्र में सबसे बड़ा मत ध्वनि मत है
बहस बहुत देर से चल रही थी. कोई किसी निर्णय तक नहीं पहुँच पा रहा था. प्रश्न ऐसा था जिससे पूरे मोहल्ले का भविष्य तय होना था. चर्चा वहाँ पहुँच चुकी थी जहाँ से आगे एक बंद गली थी. मोहल्ले के आधे... Read more
बहुत दिनों बाद रक्षा बंधन की छुट्टियों में भोगीलाल जी से मिलना हुआ. चर्चा चल निकली. मैंने कहा कि ये तो गज़ब है ! एक कम्पनी ने पहले फ्री सिम बांटे, फिर फ्री फोन कॉल और फ्री इंटरनेट दिया. अब स... Read more
पूँजीपुर रेलवे स्टेशन पर क्रांति एक्सप्रेस
पूँजीपुर के रेलवे स्टेशन पर क्रांति एक्सप्रेस के यात्री अपनी ट्रेन की प्रतीक्षा में खड़े थे. सभी ने पूँजीपुर के बाज़ार से मोबाइल फ़ोन खरीदे थे, जिसमें ट्रेन की वास्तविक स्थिति बताने वा... Read more
एक समय की बात है प्रभास क्षेत्र में मल्लिका नामक राज्य था, जिसकी राजधानी विराट नगर थी. यहाँ मल्लिका के पुष्प बहुतायत में होते थे. निरंतर मल्लिका के पुष्पों से सुवासित रहने के कारण ही इस राज्... Read more
जलते जंगल का वसंत
आज सुबह आँख खुली तो मन कुछ उद्विग्न था. बेसिरपैर का, पता नहीं क्या सपना देखा था रात को, कि पिताजी के स्वास्थ्य की चिंता लग गयी. उम्र के 96 वर्ष देख चुके ‘पप्पा’ के स्वास्थ्य को लेकर, बावजूद... Read more
खुद तो थे कंगाल गुरुजी कर गए मालामाल गुरुजी !
अभी पन्द्रह दिवस पूर्व ही लघु अमावस्या बीती है. इसे चेला अमावस भी कहते हैं. आज गुरु पूर्णिमा का पावन दिन आया है. आज के दिन उन सभी आत्माओं को मन-वचन से श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर आया है... Read more
हे सहकर्मी! हे कुलीग! तुम आखिर ऐसे क्यों हो? किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ से, ऑफिस में विकिरण फैलाते. अपनी चाल, आँखों और बातों से बेधने वाली अल्फा, बीटा, गामा किरणें फेकते. (Satire by Priy Abhis... Read more
बा-बा ब्लैक शीप में बा का मतलब
अपनी देशज भाषा, जिसे आप प्रतिदिन बोलते हैं, उसे जब किसी दूसरे को समझाते हैं तो एक दम भाषाविज्ञानी जैसी अनुभूति होती है. किसी ने हमसे पूछा कि ये ‘बा’ क्या है, जो बृज में बहुत प्रय... Read more
घर में अमनचैन के लिए संस्कारी दंपत्तिओं को शांतिपाठ का यह अनुष्ठान नित्य करना चाहिए
घर की सुख-शांति के लिये दंपत्ति प्रतिदिन विशेष शांतिपाठ करें. यह शांतिपाठ, सामान्य शांतिपाठ से भिन्न है. इस शांतिपाठ के लिये सबसे पहले हेतु (कारण) की खोज करें. यह हेतु कुछ भी हो सकता है. यह... Read more
नई आर्थिक नीतियाँ आईं तो तोंदों की संख्या ख़ूब बढ़ गई. इतनी बढ़ी कि तोंदरोधी विशेषज्ञ पैदा हो गए. नया मार्केट बना. योगा, आयुर्वेदा, हर्बला-फर्बला जाने क्या-क्या माल कमाने के नए अवसर ले आया.... Read more
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